Chamba: बागवानों के लिए एक और शुरुआत, सेब के बाद अब स्ट्रॉबेरी से मालामाल होंगे बागवान

Edited By Jyoti M, Updated: 16 Feb, 2025 04:24 PM

chamba another start for gardeners

पहाड़ी जिला चम्बा में सेब के बाद अब स्ट्रॉबेरी की खेती से बागवान मालामाल होंगे। इसके लिए विभाग ने संभावनाओं को तलाशना शुरू किया है। उद्यान विभाग चम्बा के कार्यालय के साथ सरोल व रिंडा में स्ट्रॉबेरी की खेती का कार्य शुरू किया गया है।

चम्बा, (रणवीर): पहाड़ी जिला चम्बा में सेब के बाद अब स्ट्रॉबेरी की खेती से बागवान मालामाल होंगे। इसके लिए विभाग ने संभावनाओं को तलाशना शुरू किया है। उद्यान विभाग चम्बा के कार्यालय के साथ सरोल व रिंडा में स्ट्रॉबेरी की खेती का कार्य शुरू किया गया है। उद्यान विभाग चम्बा के उपनिदेशक डा. प्रमोद शाह ने आश्रय एन.जी.ओ. के सौजन्य से ग्राम पंचायत सरोल में बागवानों द्वारा शुरू की गई स्ट्रॉबेरी की खेती का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने तकनीकी जानकारी प्रदान की और उन्हें व्यावसायिक स्तर पर स्ट्रॉबेरी उत्पादन के लिए प्रेरित किया।

संस्था के द्वारा करीब 30 से 32 बागवानों ने खेती को शुरू किया है। दोनों स्थानों पर करीब 30 बीघा जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की गई है। अगर स्ट्रॉबेरी उत्पादन की सफलता के बाद इसे बड़े स्तर पर किया जाता है तो उन्हें बाजार में इसे बेचकर अच्छी आय प्राप्त हो सकती है। वहीं आने वाले समय में चम्बा में अन्य किसानों बागवानों को नई खेती करने का मार्गदर्शन मिल सकता है।

निरीक्षण के दौरान बागवानों में विजय, संजीव और मेहरबान की रूचि को देखते हुए उन्होंने कहा कि खेती से तैयार होने वाले जैविक खादों के उपयोग की सलाह दी। इस पहल से स्थानीय किसानों को नई संभावनाओं की ओर बढ़ने का अवसर मिलेगा और क्षेत्र में जैविक स्ट्रॉबेरी उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। 

कुल्लू, बंजार में स्ट्रॉबेरी से किसान हुए हैं लाभान्वित

उपनिदेशक प्रमोद शाह ने बताया कि इससे पूर्व चम्बा में पहले कभी स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू नहीं हो पाई है। ऐसे में अगर अब स्ट्रॉबेरी उत्पादन होता है तो आने वाले समय में बागवानों को काफी फायदा मिलेगा। इससे पूर्व प्रदेश के कुल्लू व बजौरा में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की गई थी जहां काफी बागवानों को लाभ मिला है। यदि बेहतर रूप से इसकी खेती की जाए तो इसकी कमाई पारंपरिक खेती से काफी अलग है।

उन्होंने बताया कि पारंपरिक खेती आम तौर पर मौसम पर आधारित खेती होती है, जबकि स्ट्रॉबेरी की खेती ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से की जाती है। जिससे कम पानी में इसकी खेती होती है। बताया कि प्रदेश के दूसरे जिले में किसान-बागवान अब स्ट्रॉबेरी की खेती की ओर झुकने लगे हैं। सरकारी स्तर से भी इसकी खेती के लिए मदद मिलने से रूचि दिखा रहे हैं। 

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