Edited By Vijay, Updated: 10 Sep, 2024 07:17 PM
तकनीकी शिक्षा एवं टीसीपी मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि इस समय प्रत्येक हिमाचली पर 1.17 लाख रुपए का कर्ज है। इसके अलावा सरकारी विभागों, निगम-बोर्ड व स्वायत्त संस्थानों में वेतन और पैंशन पर 27 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का व्यय किया जा रहा है।
शिमला (कुलदीप): तकनीकी शिक्षा एवं टीसीपी मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि इस समय प्रत्येक हिमाचली पर 1.17 लाख रुपए का कर्ज है। इसके अलावा सरकारी विभागों, निगम-बोर्ड व स्वायत्त संस्थानों में वेतन और पैंशन पर 27 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का व्यय किया जा रहा है। राजेश धर्माणी विधानसभा में नियम-130 के तहत प्रदेश की वित्तीय स्थिति को लेकर हुई चर्चा में भाग ले रहे थे। उन्होंने कहा कि वित्त विभाग की तरफ से एक नया मामला सामने लाया गया है, जिसमें पता चला है कि प्रदेश में वर्ष 2006 से 2022 के बीच प्रथम श्रेणी के अधिकारियों की संख्या 62 फीसदी बढ़ गई।
इसके विपरीत निचले स्तर पर काम करने वाले स्टाफ की कमी है, जिसको दूर करने के लिए आऊटसोर्स जैसे विकल्पों को अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक बोर्ड की समीक्षा करने के दौरान पाया गया कि वहां पर बिना पद के ही 261 अधिकारियों को पदोन्नत कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकारी आईटीआई में भी युक्तिकरण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बाहर ऐसा संदेश जा रहा है कि मंत्री एवं विधायकों पर बड़ी राशि खर्च हो रही है।
उन्होंने कहा कि मंत्री व विधायकाें पर 20 से 25 करोड़ रुपए खर्च हो रहा है। ऐसे में वस्तुस्थिति को सामने लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्टेट जीडीपी 227000 करोड़ रुपए के आसपास है और प्रदेश के ऊपर 85000 करोड़ रुपए की देनदारियां पूर्व सरकार छोड़कर गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की आर्थिकी को पटरी पर लाने के लिए आज एसजेवीएनएल जैसे पीएसयू की आवश्यकता है।
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