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Sirmaur: आज पैतृक गांव नहीं पहुंची बलिदानी लांस नायक मनीष की पार्थिव देह, कल राजकीय सम्मान से होगी अंत्येष्टि

Edited By Vijay, Updated: 03 Jun, 2025 07:55 PM

body of martyred lance naik manish did not reach his native village

उत्तरी सिक्किम में हुए भारी भूस्खलन के दौरान अपना बलिदान देने वाले 27 वर्षीय लांस नायक मनीष ठाकुर की पार्थिव देह मंगलवार को पैतृक गांव नहीं पहुंच सकी।

नाहन (हितेश): उत्तरी सिक्किम में हुए भारी भूस्खलन के दौरान अपना बलिदान देने वाले 27 वर्षीय लांस नायक मनीष ठाकुर की पार्थिव देह मंगलवार को पैतृक गांव नहीं पहुंच सकी। परिजन दिनभर इंतजार करते रहे। सोमवार को जैसे ही वीर सपूत की शहादत की खबर मिली तो कई रिश्तेदार और ग्रामीण परिजनों को सांत्वना देने पहुंच गए थे। इस बीच सेना के अधिकारियों से सूचना मिली कि मंगलवार को लांस नायक मनीष ठाकुर की पार्थिव देह गांव नहीं पहुंच पाएगी। पार्थिव देह मंगलवार दोपहर फ्लाइट से चंडीगढ़ के लिए रवाना हुई। इस बीच पहला ठहराव बरेली में हुआ। इसके बाद शाम करीब 6 से 7 बजे के बीच चंडीगढ़ पहुंचने की संभावना जताई गई।

पार्थिव देह को मंगलवार रात को चंडी मंदिर स्थित कमांड अस्पताल में रखा जाएगा, जहां नियमानुसार सभी प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी। बुधवार सुबह चंडी मंदिर से उनके पार्थिव शरीर को पैतृक गांव बड़ाबन लाया जाएगा, जहां पूरे राजकीय व सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार होगा। बलिदानी लांस नायक मनीष ठाकुर वह भारतीय सेना में 3 डोगरा रैजीमैंट में तैनात थे। सैनिक कल्याण बोर्ड के उपनिदेशक रिटायर मेजर दीपक धवन ने बताया कि शहीद का बुधवार को अंतिम संस्कार होगा।

पत्नी के हाथों की मेहंदी भी नहीं पड़ी थी फीकी
बता दें कि 3 महीने पहले ही उनकी शादी हुई थी। पत्नी तनु के हाथों की मेहंदी भी फीकी नहीं पड़ी थी कि उसके सब सपने अब सिसकियों में बदल गए हैं। शादी के जिन फेरों में दोनों ने जीने-मरने के वचन लिए थे, वो भी अब अधूरे रह गए हैं। किसी को नहीं पता था कि शादी की ये खुशी कुछ ही दिनों की मेहमान होगी।

8 वर्ष 8 महीने की देश सेवा
15 जनवरी, 1998 को जन्मे मनीष ठाकुर 2016 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। करीब 8 वर्ष 8 महीने सेना में रहकर उन्होंने अपने फर्ज को पूरी निष्ठा से निभाया। पिता जोगिंद्र सिंह ने मजदूरी कर बेटे को पाला था। मां किरण बाला के लिए मनीष की वर्दी सपनों की सबसे ऊंची उड़ान थी। उनके बलिदान ने गांव ही नहीं, पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया है। अपने पीछे मनीष पत्नी तनु देवी, माता किरण बाला, पिता जोगिंद्र सिंह और छोटे भाई धीरज को छोड़ गए हैं।
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