कुल्लू अस्पताल में 2 साल बाद भी शुरू नहीं हुआ ब्लड सैपरेटर कंपोनेंट यूनिट, संचालन के लिए मशीनें तो मिली, मगर उपकरण नहीं पर्याप्त

Edited By Jyoti M, Updated: 09 Sep, 2024 03:22 PM

blood separator component unit not started in kullu hospital even after 2 years

क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में स्वास्थ्य विभाग 2 वर्षों से ब्लड सैपरेटर कंपोनेंट यूनिट का संचालन नहीं कर पाया है। अस्पताल में इस यूनिट का संचालन करने के लिए वर्ष 2022 को ही मशीनें स्थापित कर रखी हैं, लेकिन अभी तक इस यूनिट का मरीजों को फायदा नहीं मिल...

कुल्लू, (गौरीशंकर): क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में स्वास्थ्य विभाग 2 वर्षों से ब्लड सैपरेटर कंपोनेंट यूनिट का संचालन नहीं कर पाया है। अस्पताल में इस यूनिट का संचालन करने के लिए वर्ष 2022 को ही मशीनें स्थापित कर रखी हैं, लेकिन अभी तक इस यूनिट का मरीजों को फायदा नहीं मिल पा रहा है। इतने लंबे अंतराल के बाद भी इसका संचालन न होने से विभाग की कार्यप्रणाली की भी पोल खुलती दिखाई दे रही है और सरकारी व्यवस्था का सुस्त रवैया भी सामने आने लगा है।

इस यूनिट के शुरू होने से ब्लड के भीतर मौजूद 4 कंपोनेंट को अलग-अलग करने की व्यवस्था होती है, जिससे एक रक्तदाता द्वारा दिए गए ब्लड को 4 जरूरतमंद मरीजों को चढ़ाया जा सकता है, लेकिन अभी यहां ब्लड के कंपोनेंट को अलग करने की व्यवस्था न होने के चलते अभी यह खून एक ही मरीज को चढ़ाया जा रहा है।

मजेदार बात तो यह है कि 2 वर्षों के बाद इस यूनिट में मशीनें तो उपलब्ध हैं लेकिन सेंटर में इस्तेमाल होने वाले कई उपकरण ही उपलब्ध नहीं हैं, ऐसे में अभी ब्लड सैपरेटर कंपोनेंट यूनिट को चलाने के लिए लाइसेंस मिलने का अभी और इंतजार करना होगा। ऐसे में सरकार और विभाग के उन दावों की पोल खुलती नजर आ रही है, जिसमें बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाने और आधारभूत ढांचा मजबूत करने के ढोल पीटे जाते हैं। 

इस यूनिट को चलाने के लिए ड्रग कंट्रोलर बद्दी की अनुमति लेना जरूरी होता है। ड्रग कंट्रोलर अथॉरिटी इसके संचालन के लिए लाइसैंस जारी करती है, लेकिन अभी यह यूनिट अथॉरिटी की कसौटी पर खरा नहीं उतर पाया है, जिस कारण अथॉरिटी ने अस्पताल प्रबंधन को आवश्यक उपकरण खरीदने को कहा है। उसके बाद ही ड्रग कंट्रोलर की ओर से लाइसेंस जारी होगा। ऐसे में अभी अस्पताल के ब्लड सैपरेटर कंपोनेंट यूनिट के संचालन के लिए इंतजार करना होगा।

ब्लड में होते हैं ये 4 कंपोनेंट

ब्लड में 4 कंपोनेंट होते हैं, जिसमें रैडब्लड सैल आर. बी. सी., प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रोयोप्रेसीपिटेट शामिल है। ब्लड सैपरेटर कपोनेंट यूनिट में मशीन के जरिए इन चारों कंपोनेंट को अलग-अलग किया जा सकता है और उसके बाद जिस मरीज में जिस कंपोनैट की कमी होती है, उसे सिर्फ वही कंपोनेंट चढ़ाया जाता है। ऐसे में एक यूनिट ब्लड से 4 मरीजों को ब्लड के अलग-अलग कंपोनेंट चढ़ाए जा सकते है, लेकिन क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में यह सुविधा अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। इसके चलते अभी चारों कंपोनैट वाले ब्लड को एक साथ ही चढ़ाने की व्यवस्था है

डाक्टर को किया गया है प्रशिक्षित

हैरानी की बात है कि क्षेत्रीय अस्पताल में ब्लड सैपरेटर कंपोनैट यूनिट में मशीनें 2022 को स्थापित की गई है लेकिन अस्पताल प्रबंधन के पास पहले इन मशीनों को ऑपरेट करने वाला प्रशिक्षित डॉक्टर ही नहीं था, जिसके चलते एक डॉक्टर को इसके लिए प्रशिक्षित किया गया और डॉक्टर को पंजीकृत भी किया गया, परंतु 2 साल का लंबा वक्त बीत जाने के बाद अब यूनिट में आवश्यक उपकरण ही नहीं है, ऐसे में अभी इस यूनिट का संचालन अभी और रुकता हुआ दिखाई दे रहा है।

डा. नरेश, चिकित्सा अधीक्षक, क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू ने कहा कि यूनिट को चलाने के लिए मशीनें तो स्थापित हैं, लेकिन कुछ आवश्यक उपकरण नहीं हैं, जिसके चलते करीब 8 उपकरण और मशीनों की डिमांड राष्ट्रीय हैल्थ मिशन (एन.एच.एम.) को दी गई है। जैसे ही उपकरण उपलब्ध होंगे, वैसे ही ड्रग कंट्रोलर अथॉरिटी बद्दी की ओर से यूनिट के संचालन को लाइसैंट जारी होगा।

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