Edited By Kuldeep, Updated: 16 Aug, 2025 09:39 PM

2 महीने के बाद मत्स्य आखेट पर लगा प्रतिबंध गत रात 12 बजे हट गया। पहले ही दिन प्रदेश के जलाशयों में बंद सीजन खुलते ही मछली उत्पादन में उत्साहजनक बढ़ौतरी दर्ज की गई है।
बिलासपुर (बंशीधर): 2 महीने के बाद मत्स्य आखेट पर लगा प्रतिबंध गत रात 12 बजे हट गया। पहले ही दिन प्रदेश के जलाशयों में बंद सीजन खुलते ही मछली उत्पादन में उत्साहजनक बढ़ौतरी दर्ज की गई है। पहले ही दिन 33.06 मीट्रिक टन मछली पकड़ी गई, जोकि गत वर्ष की तुलना में 1.21 मीट्रिक टन अधिक है। वर्ष 2024 में इसी अवधि में 31.85 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ था। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक मछली उत्पादन में सबसे आगे पौंग जलाशय रहा, जहां से 1,78,064 किलोग्राम मछली पकड़ी गई। गोबिंद सागर जलाशय से 13,850 किलोग्राम, चमेरा व रणजीत सागर से 1,543.500 किलोग्राम और कोल डैम से 93 किलोग्राम मछली का उत्पादन हुआ।
वहीं लैंडिंग सैंटर्स की बात करें तो नगरोटा सूरियां से 3.45 मीट्रिक टन, गोबिंद सागर के जड्डू से 3.75 मीट्रिक टन और चंबा के संधारा से 1.60 मीट्रिक टन मछली निकाली गई। इस बार सबसे बड़ी मछली पौंग डैम के खटियार लैंडिंग सैंटर से खटियार सहकारी सभा के श्रवण कुमार ने 26.3 किलोग्राम की कतला प्रजाति की पकड़ी, जोकि प्रदेश की सबसे बड़ी मछली रही। गोबिंद सागर में जबलु सहकारी सभा के मछुआरे सरवन कुमार ने 25 किलोग्राम की बिग हैड मछली पकड़ी, जबकि चंबा के संधारा सहकारी सभा से ओमप्रकाश ने 25 किलोग्राम की सिल्वर कार्प निकाली। कोल डैम में बैरल सहकारी सभा के नरपत राम ने 5 किलोग्राम की सिल्वर कार्प पकड़ी। प्रजातिवार आंकड़ों के अनुसार गोबिंद सागर, कोल डैम और चंबा में सबसे अधिक सिल्वर कार्प पाई गई, जबकि पौंग डैम में सिंघारा मछली सर्वाधिक मात्रा में पकड़ी गई।
हिमाचल प्रदेश के जलाशयों एवं सामान्य नदी नालों व इनकी सहायक नदियों में 12 हजार से अधिक मछुआरे मछली पकड़ कर अपनी रोजी रोटी कमाने में लगे हैं। वर्तमान में प्रदेश के 5 जलाशयों गोबिंद सागर, पौंग, चमेरा, कोल डैम एवं रणजीत सागर में 5900 से अधिक मछुआरे मछली पकड़ने का कार्य कर रहे हैं जबकि प्रदेश के सामान्य जलों में 6000 से अधिक मछुआरे फैंकवां जाल के साथ मछली पकड़ने के कार्य में लगे हैं। बता दें कि मात्स्यिकी विभाग प्रतिवर्ष सामान्य जल में 2 माह के लिए 16 जून से 15 अगस्त तक मछली पकड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है। इस अवधि में अधिकतर महत्वपूर्ण प्रजातियों की मछलियां प्राकृतिक प्रजनन करती हैं, जिससे इन जलों में स्वतः मछली बीज संग्रहण हो जाता है। मत्स्य निदेशक विवेक चंदेल ने बताया कि पहले दिन गत वर्ष की अपेक्षा 1.21 मीट्रिक टन मछली अधिक पकड़ी गई है।