Edited By Vijay, Updated: 28 Jan, 2025 06:29 PM
स्वयंभू बाबा भूतनाथ मंदिर मंडी में मंगलवार को शिवलिंग पर प्रथम दिन मक्खन से बिजली महादेव का स्वरूप उकेरा गया और अब 25 फरवरी तक अलग-अलग रूपों को शिवलिंग पर उकेरने की प्रक्रिया जारी रहेगी।
मंडी (नीलम): स्वयंभू बाबा भूतनाथ मंदिर मंडी में मंगलवार को शिवलिंग पर प्रथम दिन मक्खन से बिजली महादेव का स्वरूप उकेरा गया और अब 25 फरवरी तक अलग-अलग रूपों को शिवलिंग पर उकेरने की प्रक्रिया जारी रहेगी। 26 फरवरी सुबह 3 बजे एक महीने तक चढ़े मक्खन रूपी घृतमंडल को उतारकर भगवान की पूजा-अर्चना की जाएगी और शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर का एक महीने बाद जलाभिषेक शुरू किया जाएगा। एक महीने तक शिवलिंग पर बिल्ब पत्र, फल, फूल व मक्खन चढ़ाना जारी रहेगा। मंगलवार को दिनभर बाबा भूतनाथ मंदिर में बिजली महादेव के स्वरूप देखने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा।
2460 मीटर ऊंचाई पर स्थित है बिजली महादेव का मंदिर
बिजली महादेव मंदिर कुल्लू घाटी के कशावरी नामक गांव में सबसे प्राचीन व पवित्र स्थानों में गिना जाता है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर 2460 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण कुलंत नामक राक्षस को मारने के बाद हुआ था। कुलंत राक्षस ने ब्यास नदी के प्रवाह को रोककर घाटी को जलमगन करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक अजगर का रूप धारण किया था। जब भगवान शिव को इस बारे पता चला तो वे इस राक्षस का अंत करने इस स्थान पर पहुंचे। शंकर भगवान ने राक्षस को पीछे मुड़कर देखने के लिए कहा और जैसे ही उसने मुड़कर देखा तो उसकी पूंछ में आग लग गई। कहा जाता है कि जिस पर्वत पर बिजली महादेव मंदिर है वह मृत दानव के शरीर से बना था। राक्षस की मृत्यु के बाद उनका शरीर एक पहाड़ के आकार में बदल गया।
मंदिर में केवल शिवलिंग पर इसलिए गिरती है बिजली
लोगों का मानना है कि बिजली महादेव कुलंत को हराने के बाद भगवान इंद्र के पास गए और कहा कि हर 12 वर्षों में पहाड़ पर बिजली गिराएं। लोगों का मानना है कि भगवान शिव नहीं चाहते थे कि भक्तों को बिजली से नुक्सान हो। इसी के चलते हर 12 वर्षों में गिरने वाली बिजली सीधे मंदिर के अंदर स्थित शिवलिंग पर गिरती है। बिजली गिरने से शिवलिंग के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं और मंदिर के पुजारी सभी टुकड़ों को एकत्रित करते हैं और फिर मक्खन से बने पेस्ट से जोड़ते हैं। ऐसा करने से शिवलिंग कुछ महीनों बाद पहले जैसा ही लगने लगता है। बिजली महादेव मंदिर कुल्लू से करीब 24 किलोमीटर दूर है।
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