आजाद प्रत्याशी पार लगाएंगे जिला परिषद सरदारी की नैय्या

Edited By prashant sharma, Updated: 24 Jan, 2021 10:18 AM

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प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में जिला परिषद की सरदारी को लेकर अब आजाद प्रत्याशियों पर दोनों दिग्गज पार्टियों की नजरें टिक गई हैं। आजाद प्रत्याशियों के सहारे ही अब जिला परिषद की सरदारी पाने को लेकर पार्टियां जुगत भिड़ाने में जुटी हैं।

धर्मशाला (जिनेश/तनुज) : प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में जिला परिषद की सरदारी को लेकर अब आजाद प्रत्याशियों पर दोनों दिग्गज पार्टियों की नजरें टिक गई हैं। आजाद प्रत्याशियों के सहारे ही अब जिला परिषद की सरदारी पाने को लेकर पार्टियां जुगत भिड़ाने में जुटी हैं। शनिवार को जिला परिषद चुनावों के परिणाम आने के बाद कांग्रेस व भाजपा अपने अधिकतर उम्मीदवारों की जीत का दावा ठोंक रही हैं, लेकिन पार्टी से ही नाराज होकर चुनाव मैदान में आजाद उम्मीदवार के तौर पर उतरे उम्मीदवार व जीत दर्ज करने वाले प्रत्याशी अब सरदारी के लिए अपनी अहम भूमिका निभाएंगे। इतना ही नहीं शुक्रवार से लेकर शनिवार तक चली जिला परिषद की मतगणना में मंत्री-विधायकों से लेकर पार्टी की अप्पर लॉबी भी पूरी रात अधिकारियों से फीडबैक लेती रही। जिसके चलते शुक्रवार को अधिकारियों की भी कसरत खूब हुई। जिला परिषद के चुनावों में भाजपा को दिग्गजों के गढ़ में भी झटका लगा है। इसमें ज्वालामुखी, शाहपुर व सुलह में सत्ताधारी पार्टी के नुमाइंदों के होने के बावजूद बड़ा झटका सहना पड़ा है।

गौरतलब है कि जिला की 54 जिला परिषद सीटों में से 53 सीटों पर शनिवार को परिणाम आने के बाद लगभग 25 सीटों पर भाजपा समर्थित प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। वहीं 7 निर्दलीय भी चुनाव में बाजी मार चुके हैं। इसके अतिरिक्त कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों ने 21 सीटों पर कब्जा जमाया है। भाजपा से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लडऩे वालों की संख्या भी 5 के लगभग बताई जा रही है। हालांकि भाजपा की ओर से यह कहा जा रहा था कि पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ उतरने वाले पार्टी कार्यकर्ता को मनाने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन भाजपा इसमें कामयाब नहीं हो पाई है। यही वजह है कि भाजपा से बगावत करके बतौर निर्दलीय जिला परिषद चुनाव में उतरे प्रत्याशियों ने भी जीत दर्ज की है। इस आंकड़े के अनुसार अब निर्दलीय जीते प्रत्याशियों पर अब कांग्रेस ने भी नजरें टिका दी हैं। भाजपा से ही नाराज होकर चुनाव में उतरे प्रत्याशियों को मनाने में कांग्रेस भी पीछे नहीं है। ऐसे में आने वाले दिनों में ही स्पष्ट हो पाएगा कि भाजपा से नाराज होकर बिना पार्टी का सहारा लेकर मैदान में बतौर आजाद प्रत्याशी उतरकर व जीत दर्ज करवाने वाले विजेता वापसी करते हुए घर वापसी करते हैं या दूसरी पार्टी का दामन थामते हैं।
 

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