Edited By Kuldeep, Updated: 19 May, 2025 08:56 PM

न्यूगल नदी में रविवार को हुए हादसे में सोमवार को 3 चिताएं एक साथ जलीं। न्यूगल नदी में मैले गांव में तीनों का अंतिम संस्कार कर दिया। हजारों की संख्या में लोगों ने दाता-पोतों काे अंतिम विदाई दी।
आलमपुर (विजय पुरी ): न्यूगल नदी में रविवार को हुए हादसे में सोमवार को 3 चिताएं एक साथ जलीं। न्यूगल नदी में मैले गांव में तीनों का अंतिम संस्कार कर दिया। हजारों की संख्या में लोगों ने दाता-पोतों काे अंतिम विदाई दी। सोमवार को दोपहर साढ़े 3 बजे जैसे ही शव पोस्टमार्टम के बाद मैले गांव में पहुंचे तो ओमप्रकाश के घर में चीखो-पुकार मच गया। अंतिम रस्में निभाने के बाद पहले दादा की अर्थी उठी, फिर उनके मासूम पोतों के शवों को गोद में उठाकर न्यूगल किनारे श्मशानघाट लाया गया। सैंकड़ों की संख्या में लोग इस बात से स्तब्ध थे कि कैसे काल ने नवीन कुमार के दो बच्चों सहित पिता को भी काल ने निगल लिया। बता दें कि ओमप्रकाश अपने दोनों पोतों के साथ न्यूगल नदी में डूब गए थे। दादी बीना देवी, बच्चों की मां बिनता देवी व चाची पूजा तीनों बेसुध हैं।
दादी बीना का कहना है कि उसका तो परिवार की उजड़ गया। अब उनके जीने का क्या महत्व, जबकि बच्चों से बहुत लाड प्यार करने वाली पूजा भी कल से कुछ नहीं खा पाई है। बता दें कि पूजा की अपनी कोई औलाद अभी तक नहीं है इसलिए वह बच्चों से बहुत प्यार करती थी। ओमप्रकाश घर में खेतीबाड़ी का ही काम करते थे जबकि उनके दोनों बेटे नवीन और सवीन में से नवीन पंचायत में वार्ड मैंबर है और पोल्ट्री फार्म का काम करता है जबकि सवीन डीजे का काम करता है। सवीन कुमार ने बताया कि उनकी रोजी-रोटी बड़ी मुश्किल से चलती है।
इस 72 साल के पूर्व फौजी ने 40 फुट गहरे पानी से निकाले बच्चे
उधर, बच्चों को गहरी खाई (ऑल) से निकलने वाले सूबेदार केहर सिंह ने बताया कि 40 फुट गहरे पानी में से वह बड़ी मुश्किल से बच्चों को निकाल कर लाए हैं। उन्होंने बताया कि एक बच्चा तो दूर से ऐसे लग रहा था जैसे कि मानो कोई गुड्डा हो। उन्होंने बड़ी मुश्किल से 40 फुट गहरे पानी से एक छोटे बच्चों को निकाला। सूबेदार केहर सिंह ने बताया कि वह भी इतना घबरा गए थे कि शायद उनका भी इस पानी की गहराई (आल) से निकलना मुश्किल हो सकता है और वह बाहर आकर 5 मिनट तक बेहोश रहे। उन्होंने बताया कि वे बचपन से ही तैरना जानते हैं तथा सन 1974 में में मीडियम रैजीमैंट में भर्ती हुए थे तथा 26 साल नौकरी करने के बाद 2000 में रिटायर हुए हैं। उन्होंने बताया कि उनका बचपन में ही तैरने का शौक था। सूबेदार बताते हैं कि जब बचपन में पुराने जमाने में गांव के बच्चे इकट्ठे होकर तैरना सीखने जाते थे, तब पीठ के बल लिटाकर अन्य साथी बच्चों को तैरना सिखाते थे।
उन्होंने कहा कि फौज में भी तैरना नहीं छोड़ा। उन्होंने खोज के दौरान एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि जब फौज में भर्ती थी और घर आए हुए थे, इसी तरह का एक मामला गांव में डूबने का 1995 में भी आया था। उन्होंने तब बड़ी मुश्किल से पत्थरों के नीचे से एक व्यक्ति को इसी गांव में बचाया था। केहर सिंह ने बताया कि बी फौज में 6 महीने का योग का कोर्स किया हुआ है जिसमें 2 मिनट तक बिना सांस लिए तैर सकते हैं। 72 वर्षीय केहर सिंह ने बताया कि आज के युवा तैरना बहुत कम जानते हैं। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आज के बच्चों को तैरना सीखना चाहिए क्योंकि तैरना सबसे अच्छा व्यायाम है लेकिन इसके लिए सिखाने वाला अनुभवी भी साथ होना चाहिए।
उधर एसडीएम धीरा सलीम आजम ने बताया कि प्रशासन की तरफ से ₹400000 प्रति व्यक्ति दिया जाएगा 25000 हमने फौरी राशि प्रति व्यक्ति दे दी है बाकी राशि 375000 प्रति व्यक्ति नक्शा ख्वाब जिसमें मृत्यु प्रमाण पत्र पोस्टमार्टम रिपोर्ट पटवारी कानूनगो तहसीलदार की रिपोर्ट पर दे दी जाए