कांग्रेस के मंडी अधिवेशन में नहीं पहुंचे वीरभद्र और विक्रमादित्य

Edited By Punjab Kesari, Updated: 03 Mar, 2018 03:45 PM

virbhadra and vikramaditya did not arrive at congress s mandi session

विधानसभा चुनाव की हार के बाद कांग्रेस पार्टी की ओर से आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारियों की मंडी अधिवेशन में शुरूआत की है। इसके बावजूद कांग्रेस के संगठन में एकजुटता का अभाव देखा गया। कांग्रेस के इस मंच पर कौल सिंह गुट हावी रहा जबकि वीरभद्र समर्थकों...

मंडी(पुरषोतम)  : विधानसभा चुनाव की हार के बाद कांग्रेस पार्टी की ओर से आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारियों की मंडी अधिवेशन में शुरूआत की है। इसके बावजूद कांग्रेस के संगठन में एकजुटता का अभाव देखा गया। कांग्रेस के इस मंच पर कौल सिंह गुट हावी रहा जबकि वीरभद्र समर्थकों ने गेट के पास बड़े नेताओं की आवभक्त कर किनारा कर लिया। पार्टी के इस महत्वपूर्ण अधिवेशन से पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह दूर रहे और कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री विद्या स्टोक्स और शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य सिंह भी मंडी अधिवेशन में नहीं पहुंचे। उसी प्रकार कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुशील कुमार शिंदे भी अधिवेशन में नहीं आए। उनकी जगह प्रदेश की सह प्रभारी सांसद रंजिता रंजन बतौर मुख्यातिथि कांग्रेस के इस अधिवेशन में मौजूद रही।

इस अधिवेशन पर भी कांग्रेस के अंदरूनी कलह का साया नजर आया
इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुख्खू और सी.एल.पी. लीडर मुकेश अग्निहोत्री इस अधिवेशन में मौजूद रहे। शनिवार को यहां राजमहल होटल में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस का महत्वपूर्ण अधिवेशन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी में आयोजित किया गया। विधानसभा चुनाव में मिली कांग्रेस की हार को देखते हुए संगठनात्मक दृष्टि से इस अधिवेशन को महत्वपूर्ण माना जा रहा था लेकिन इस अधिवेशन पर भी कांग्रेस के अंदरूनी कलह का साया नजर आया। एक तरह से यह अधिवेशन कांग्रेस की गुटबाजी का शिकार होकर रह गया।

केंद्र सरकार की नीतियों की भी आलोचना की गई
हालांकि, कांग्रेस ने इस अधिवेशन में पार्टी की हार को लेकर खुलकर मंथन किया वहीं पर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने का भी अधिवेशन में कार्य किया। जिसके चलते कांग्रेस ने प्रदेश सरकार के बजाय सीधे केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों को निशाने पर रखा। पार्टी अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह ने कहा कि इस सम्मेलन में पार्टी कार्यकर्ताओं को आगामी लोकसभा चुनावों के लिए तैयार किया वहीं पर केंद्र सरकार की नीतियों की भी आलोचना की गई। इसके अलावा हिसाब दे सांसद जवाब दे सांसद कार्यक्रम के तहत पिछले चार सालों में प्रदेश के सांसदों ने संसद में प्रदेश हित के कितने सवाल पूछे और कौन-कौन सी योजनाएं इस दौरान केंद्र से लाए। इस बारे भी कांग्रेस पार्टी ने हिसाब मांगा है। 
 

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