विक्रमादित्य ने की एक परिवार एक टिकट फार्मूले की वकालत, दिया ये बड़ा बयान

Edited By Punjab Kesari, Updated: 20 Sep, 2017 07:48 PM

vikramaditya advocated to one family one ticket formula  gave this big statement

विधानसभा चुनाव को लेकर युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह ने एक परिवार एक टिकट फार्मूले की वकालत की है।

शिमला: विधानसभा चुनाव को लेकर युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह ने एक परिवार एक टिकट फार्मूले की वकालत की है। इसके साथ ही विक्रमादित्य सिंह ने तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए स्पष्ट किया कि वे शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से इस बार चुनावी टिकट के लिए अपनी दावेदारी पेश करेंगे। शिमला ग्रामीण मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का विधानसभा क्षेत्र है, ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि यदि पार्टी उक्त फार्मूले को अपनाती है तो क्या मुख्यमंत्री विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे? विक्रमादित्य सिंह के इस बयान ने सियासी गलियारों में नई बहस शुरू कर दी है। वीरभद्र सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और उनका जनता के बीच जनाधार भी है। यदि वह चुनावी मैदान में नहीं उतरते हैं तो इससे पार्टी को नुक्सान भी हो सकता है और उनके समर्थकों को भी झटका लग सकता है। कांग्रेस में जारी घमासान के बीच वीरभद्र सिंह भी विधानसभा चुनाव लडऩे या न लडऩे को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि वह कह चुके हैं कि यदि हाईकमान चुनाव लडऩे के लिए कहेगा तो वे लड़ेंगे, नहीं तो पार्टी में सेवा करेंगे। 

चुनावी सर्वेक्षण की अग्निपरीक्षा पास करने वाले को मिले टिकट
युकां अध्यक्ष ने कहा कि उनके नेतृत्व में युवा कांग्रेस ने प्रदेश भर में कई अभियान चलाए हैं और वह संगठन में सक्रिय होने के चलते ही शिमला ग्रामीण से अपनी दावेदारी पेश करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का टिकट उसी उम्मीदवार को मिलना चाहिए, जो चुनावी सर्वेक्षण की अग्रिपरीक्षा में खरे उतरेंगे। उन्होंने कहा कि जो उम्मीदवार इस बार चुनाव सर्वेक्षण की अग्निपरीक्षा पास नहीं करते हैं, उन्हें किसी भी सूरत में पार्टी का टिकट नहीं मिला चाहिए। उनके अनुसार वह इस मामले को हाईकमान के समक्ष मुख्य रूप से उठाएंगे। उन्होंने कहा कि वे मेधावी उम्मीदवारों को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।

युवा-उर्जावान चेहरों को मिलना चाहिए मौका
युकां अध्यक्ष ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट आबंटन को लेकर पार्टी का एकमात्र मापदंड जीतने की क्षमता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो उम्मीदवार इस मापदंड में नहीं आते हैं, उन्हें विनम्रता से संगठन में काम करने के लिए कहा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी के ऐसे युवा और उर्जावान चेहरे जो बीते पंचायती राज चुनाव में अपनी योग्यता साबित कर चुके हैं, उन्हें आगे आने का मौका मिलना चाहिए। इसके साथ ही युकां अध्यक्ष ऐसे विधानसभा क्षेत्र जहां कांगे्रस लगातार  हारती आ रहीं है, उन सीटों पर नए चेहरों को आगे लाए जाने और टिकट आबंटन में कोटा सिस्टम भी खत्म करने की वकालत कर चुके हैं।

मैंने कभी नहीं की एक परिवार को 2 टिकट की वकालत
युकां अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री चुनाव नहीं लडऩे की बात कर चुके हैं, लेकिन हाईकमान कहेगा तो वे अवश्य ही चुनावी मैदान में उतरेंगे। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी एक परिवार को 2 टिकट देने की वकालत नहीं की है और इसी स्टैंड पर अभी भी कायम हैं। विशेष है कि पंजाब, उत्तराखंड और अन्य राज्यों में हुए चुनावों में भी कांग्रेस हाईकमान ने एक परिवार से एक ही सदस्य को टिकट दिया था, ऐसे में पार्टी हिमाचल में भी यह फार्मूला लागू कर सकती है। ऐसा होने से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और विक्रमादित्य सिंह में से किसी एक को ही टिकट मिल पाएगा।

वीरभद्र सिंह को चुनाव लड़वाना हाईकमान की मजबूरी
देखा जाए तो मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को चुनावी मैदान में उतारना हाईकमान की मजबूरी है। इसका मुख्य कारण जनता के बीच उनका जनाधार है, ऐसे में पार्टी हाईकमान चुनाव मैदान से दूर रखकर मिशन रिपीट को खतरे में नहीं डालना चाहेगा। उनके चुनाव मैदान में हटने से मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की फेहरिस्त भी लंबी हो जाएगी, जो पार्टी की दिक्कतें और बढ़ा सकती है। माना जा रहा है कि विक्रमादित्य सिंह की शिमला ग्रामीण से दावेदारी किए जाने पर हाईकमान मुख्यमंत्री को अर्की विधानसभा से चुनावी मैदान में उतार सकता है।

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