Edited By Updated: 28 Feb, 2017 09:51 PM
मंगलवार को प्रदेश भर में बैंकों की हड़ताल से आर्थिक गतिविधियां थमी रहीं।
शिमला: मंगलवार को प्रदेश भर में बैंकों की हड़ताल से आर्थिक गतिविधियां थमी रहीं। बैंकों में कामकाज पूरी तरह से ठप्प रहा। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर बैंकों में एक दिन हड़ताल रखी गई थी। एकदिवसीय हड़ताल के कारण राज्य की सभी शाखाओं के बंद रहने से हिमाचल में करोड़ों का कारोबार प्रभावित हुआ। राष्ट्रीयकृत बैंकों के लगभग 12,000 कर्मचारियों की एक दिन की हड़ताल के कारण जहां करोड़ों का कारोबार ठप्प रहा, वहीं आम जनता को भी बैंक से संबंधित कामकाज को लेकर भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यही नहीं यहां मांगों को लेकर प्रदेश में राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्मचारियों ने सभी जिलों में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। राजधानी शिमला में भी बैंक कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर जिलाधीश कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन किया। धरना-प्रदर्शन के दौरान बैंक कर्मचारी केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानून में किए जा रहे बदलाव व बैंकों के निजीकरण का विरोध भी कर रहे हैं।
निजी बैंकों में हुआ काम, बाकी रहे बंद
राजधानी शिमला में कुछ निजी बैंक खुले थे लेकिन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नैशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा व स्टेट बैंक ऑफ पटियाला सहित ज्यादातर सरकारी बैंक बंद रहे। बैंकों में दिन भर ताले लटकने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, वहीं यहां अधिकतर ए.टी.एम. में भी पैसे न होने से लोगों को असुविधाओं का सामना करना पड़ा। हालांकि जहां एक ओर राष्ट्रीयकृत और सरकारी बैंक हड़ताल के कारण बंद रहे, वहीं कई निजी बैंकों में काम होता रहा।
लोगों को हुई दिक्कतें
बैंकों में अपनी फीस जमा करवाने आए राकेश का कहना था कि बैंकों में हड़ताल के कारण उनको बैरंग ही वापस होना पड़ा जबकि फीस की आखिरी तिथि नजदीक ही आ रही है। यहां अकेला राकेश ही नहीं था बल्कि अनेक लोग जो बैंक में अपने काम करने आए थे, वे निराश होकर वापस लौटे। सीनियर सिटीजन सुभाष वर्मा का कहना था कि वह अपनी लोन की किस्त जमा करवाने आए थे लेकिन उनको मायूस होकर वापस लौटना पड़ा।
केंद्र सरकार कर रही बैंकों का निजीकरण
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन की हिमाचल इकाई के महासचिव गोपाल शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार बैंकों का निजीकरण कर रही है। बैंक प्रबंधन और सरकार अब स्थायी रोजगार न देकर बैंकों में आऊटसोर्स पर कर्मचारी रख रहे हैं। यही नहीं बैंक कर्मचारी लंबे समय से पेमैंट ऑफगै्रच्युटी एक्ट के तहत उपदान की सीमा को हटाने की भी मांग कर रहे हैं।