नेरचौक मैडीकल कालेज में 15 लाख में डाक्टरी क्यों ?

Edited By Updated: 17 Aug, 2016 10:23 PM

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दिल्ली के आरटीआई कार्यकर्ता देवाशीष भट्टाचार्य ने केन्द्र से और हिमाचल सरकार से जन सूचना अधिकार अधिनियम के माध्यम से जानना चाहा....

शिमला: दिल्ली के आरटीआई कार्यकर्ता देवाशीष भट्टाचार्य ने केन्द्र से और हिमाचल सरकार से जन सूचना अधिकार अधिनियम के माध्यम से जानना चाहा है कि हिमाचल में मंडी जिला में नेरचौक मैडीकल कालेज में डाक्टरी के लिए 15 लाख रुपए फीस क्यों रखी गई है जबकि प्राइवेट कालेजों आईजीएमसी और टांडा मैडीकल कालेजों में 2 लाख रुपए डाक्टर बन जाते हैं। 
 
आरटीआई कार्यकर्ता ने हिमाचल के मैडीकल कालेज को लेकर प्रधानमंत्री, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री तथा हिमाचल के राज्यपाल को शिकायत भेजी है, साथ ही हिमाचल के स्वास्थ्य सचिव से कालेज के फीस ढांचे को लेकर आरटीआई के तहत जानकारी मांगी है। उन्होंने कहा कि ईएसआई ने 900 करोड़ रुपए खर्च करके जनता के पैसे की बर्बादी ही की है। उसके बाद इस कालेज के उद्घाटन पर लाखों रुपए खर्च किए गए। हिमाचल सरकार ने इस कालेज के प्रति ज्यादा दयादृष्टि दिखाते हुए इसे अपना लिया। अब पता चला है कि एक सोसायटी मैडीकल कालेज को चला रही है, जिसमें कुछ राजनीतिज्ञ भी शामिल हैं। इस मैडीकल कालेज को सैल्फ फाइनासिंग स्कीम के तहत चलाया जा रहा है। 
 
भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य सरकार को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है। अगर हिमाचल सरकार शिमला तथा टांडा कालेजों की तर्ज पर सरकारी मैडीकल कालेज चला नहीं सकती है तो फिर उसे ऐसे कालेज अपनाने नहीं चाहिएं। उन्होंने कहा कि देश में कई म्यूनिसीपल कार्पोरेशनें भी मैडीकल कालेजों को सफलतापूर्ण चला रही हैं। उनका कहना है कि सरकारी कालेजों को प्राइवेट दुकानों की तरह नहीं चलाया जाना चाहिए। 

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