कोरोना के बचाव में कहीं भूख से न मरें कामगार, राणा ने जताई आशंका

Edited By kirti, Updated: 26 Mar, 2020 05:24 PM

workers should not die of hunger in corona s rescue rana feared

राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि कोरोना महामारी से बचाव करते-करते कहीं लोग भूखे न मरें इसका भी सरकार पूरी तरह से विचार करके अभी से योजना बनाएं। राज्य के भीतर और राज्य के बाहर ऐसे कामगार मजदूरों का बड़ा आंकड़ा है...

हमीरपुर : राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि  कोरोना महामारी से बचाव करते-करते कहीं लोग भूखे न मरें इसका भी सरकार पूरी तरह से विचार करके अभी से योजना बनाएं। राज्य के भीतर और राज्य के बाहर ऐसे कामगार मजदूरों का बड़ा आंकड़ा है जो रोज कमाते हैं और रोज खाते हैं। इनमें से जो कुछ लोग किराए के मकान लेकर रहते हैं उनका रोज का खाने-पीने का सिस्टम टिफिन से जुड़ा हुआ था जबकि इसी वर्ग में कुछ लोग ऐसे हैं जिनके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं है। वह लोग अपनी रोज की आमदन के आधार पर जहां सुविधा मिलती है वहीं खाना खाते थे। 

प्रदेश के बद्दी-बरोटीवाला औद्योगिक क्षेत्र में ऐसे कामगारों का आंकड़ा 5 हजार तक बताया जा रहा है। यकायक लगे कफ्र्यू के बाद यह तमाम लोग जहां के तहां फंस गए हैं। जिनकी हालत कफ्र्यू के दो दिनों बाद ही बद से बदतर हो चली है। खाने-पीने के ढाबे, होटल व दूसरी दुकानें बंद हैं। ऐसे में टिफिन लगावकर खाना खाने के आदी कामगार मुसीबत में हैं। उन्होंने कहा कि नालागढ़-बद्दी-बरोटीवाला में कुछ प्रशासनिक अधिकारियों से बात करने पर खुलासा हुआ है कि यह तमाम लोग मुसीबत में हैं। क्योंकि किसी का बेटा तो किसी की बेटी तो किसी का बाप कोरोना लॉकडाउन होने के कारण अब यहीं फंस कर रह गया है। जिनके लिए अब घर पहुंचने के लिए कोई चारा नहीं बचा है। राणा ने कहा कि इस बड़ी मुसीबत की समस्या पर उनकी बात प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी हुई है। जिसको लेकर मुख्यमंत्री ने इस मसले का हल देने का आश्वासन दिया है। 

उन्होंने कहा कि कमोवेश उन हिमाचली कामगारों की भी यही स्थिति है जो काम की गरज से राज्य के बाहर गए थे और अब वहीं के वहीं फंस कर रह गए हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि राज्य से बाहर फंसे हिमाचलियों व राज्य के भीतर फंसे बाहरी राज्य के कामगारों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए सरकार कोई हल निकालकर इंतजाम करे अन्यथा कोरोना के बचाव से पहले लोगों के भूख से मरने की नौबत आ जाएगी।

इसलिए सरकार को चाहिए कि सरकार इस गंभीर समस्या पर तुरंत विचार कर कोई कारगर कदम उठाए। क्योंकि कोरोना के कारण शहर वालों की मुश्किलें तो बढ़ी हैं लेकिन कामगारों व गांव वालों का दर्द और भी ज्यादा बढ़ा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आंकड़ों पर अगर गौर करें तो वर्तमान में 25 से 30 करोड़ कामगार तबका घरों से बाहर दूसरे राज्यों में फंसा है। यह लोग मजदूरी के लिए निकले थे लेकिन कोरोना लॉकडाउन की स्थिति में अब वहीं फंस कर रह गए हैं। इस स्थिति में कितने लोगों को खाना नसीब नहीं हो रहा है इसका कोई सपष्ट आंकड़ा सरकार के पास नहीं है।
 

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