जब कोरोना की टैस्टिंग ही पूरी नहीं तो कैसे मान लें सुरक्षित है प्रदेश : अभिषेक राणा

Edited By Vijay, Updated: 06 May, 2020 06:18 PM

when testing of corona is not complete then how can assume the state is safe

अपने धारदार बयानों से जनता की शिकायतों व समस्याओं की लगातार पैरवी करने वाले प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया के चेयरमैन अभिषेक राणा ने कोरोना महामारी की टैस्टिंग को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि नाममात्र की हो रही टैस्टिंग के कारण अब प्रदेश पर...

हमीरपुर (ब्यूरो): अपने धारदार बयानों से जनता की शिकायतों व समस्याओं की लगातार पैरवी करने वाले प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया के चेयरमैन अभिषेक राणा ने कोरोना महामारी की टैस्टिंग को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि नाममात्र की हो रही टैस्टिंग के कारण अब प्रदेश पर कोरोना का संकट बढ़ने लगा है क्योंकि लॉकडाऊन के बाद बाहर से आने वाले लोगों की नियमित जांच नहीं हुई है। अगर ऐसा हुआ होता तो अब अचानक प्रदेश के हालात खतरे की ओर नहीं बढ़ते। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लॉकडाउन के सहारे महामारी से निपटने का मंसुबा बनाए सरकार की मेडिकल स्तर पर महामारी से निपटने की कोई तैयारी नहीं थी और न है? जिस कारण से प्रदेश में महामारी की चपेट में आने का खतरा लगातार बना हुआ है। अगर प्रदेश में सही ढंग से टैस्टिंग हुई होती तो हालात फिर से खतरनाक नहीं बनते।

सरकार को साऊथ कोरिया से सीख लेने की जरूरत

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को इस मामले में साऊथ कोरिया से सीख लेने की जरूरत है। जहां हर आदमी की टैस्टिंग करके महामारी को रोकने का कारगर प्रयास किया गया है जबकि प्रदेश सरकार का मेडिकल सिस्टम अभी तक उन आंगनबाड़ी वर्कर्स के सहारे है, जिन्हें न तो टैस्टिंग का ज्ञान है, न ही उनकी टैस्ट करने की कोई क्षमता है। यह बेचारे जानकारी देने वाले के सहारे हैं, अगर किसी ने कहा कि वह बीमार है तो ये आगे जानकारी पहुंचा देंगे और अगर किसी ने जानकारी छुपाई है तो इनके पास पता करने का कोई साधन नहीं है।

प्रदेश कोरोना से त्रस्त, सरकारें एक-दूसरे की पीठ थपथपाने में व्यस्त

हैरानी यह है कि नियमित टैस्टिंग नहीं हो रही है और केंद्र व प्रदेश सरकार एक-दूसरे की पीठ थपथपाने में व्यस्त हैं जबकि प्रदेश कोरोना से त्रस्त है। इधर महामारी के इन्फैक्शन का खतरा अब समूचे प्रदेश में मंडराने लगा है। अगर लोगों की टैस्टिंग व चैकअप का ग्राफ नहीं बढ़ेगा तो हम कैसे मान लें कि प्रदेश सुरक्षित है। बीमारी का पता तो तब चलेगा जब नियमित जांच, चैकअप और टैस्टिंग होगी। जब टैस्टिंग ही नाममात्र की होगी तो संक्रमण का पता चलने का कोई साधन नहीं है।

पुलिस व मेडिकल स्टाफ को प्रताड़ित करने में लगी सरकार

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के फ्रंट मोर्चे पर लड़ रहे पुलिस व मेडिकल स्टाफ की बिना पूछे सैलरी काटना गलत है। होना तो यह चाहिए था कि अपनी जान को जोखिम में रखकर महामारी की रोकथाम में लगे इस वर्ग को प्रोत्साहित किया जाता लेकिन हो यह रहा है कि सरकार इनका वेतन काटकर इन्हें प्रताड़ित करने में लगी है, ऐसे में जब विपक्ष आमजन की पैरवी करते हुए सवाल उठा रहा है तो सरकार को गुस्सा आ रहा है। संकट काल न गुस्से से टलेगा, न सत्ता की धौंस दबाव से टलेगा। इस संकट का एकमात्र उपाय हर आदमी की टैस्टिंग करके संक्रमण का पता लगाना वक्त की मांग व जरूरत है।

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