Edited By Jyoti M, Updated: 22 Apr, 2025 05:44 PM

हिमाचल प्रदेश में अब कोई भी व्यक्ति मोनाल पक्षी की कलगी को टोपी पर लगाकर नहीं पहन सकेगा और न ही देवताओं के मंदिरों में जुजुराना (वेस्टर्न ट्रैगोपान) के पंखों को रखकर प्रदर्शित कर सकेगा।
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश में अब कोई भी व्यक्ति मोनाल पक्षी की कलगी को टोपी पर लगाकर नहीं पहन सकेगा और न ही देवताओं के मंदिरों में जुजुराना (वेस्टर्न ट्रैगोपान) के पंखों को रखकर प्रदर्शित कर सकेगा। इसके अलावा हिरण को छोड़कर अन्य जंगली जानवरों के सींग या अंगों को सार्वजनिक रूप से दिखाना या सोशल मीडिया पर साझा करना भी प्रतिबंधित कर दिया गया है।
इस संबंध में हिमाचल प्रदेश वन विभाग के वन्य प्राणी प्रभाग ने आधिकारिक आदेश जारी किए हैं। प्रधान मुख्य अरण्यपाल (सीसीएफ) वन्य प्राणी प्रभाग अमिताभ गौतम ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि यदि कहीं इस प्रकार की गतिविधि होती है, तो तुरंत वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत कार्रवाई की जाए।
क्या कहा गया है आदेश में?
आदेश में साफ कहा गया है कि मोनाल, जुजुराना और अन्य ऐसे पक्षी जो वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची-1 में शामिल हैं, उनके किसी भी अंग जैसे कि कलगी, पंख, ट्रॉफी आदि को पहनना, रखना या प्रदर्शित करना कानूनन अपराध है। ऐसा करने पर 3 से 7 साल की जेल और कम से कम 10,000 रुपये जुर्माना लग सकता है।
पारंपरिक परंपरा पर असर
हिमाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों, खासकर कुल्लू, किन्नौर और चंबा जैसे जिलों में मोनाल की कलगी को टोपी पर लगाकर पहनने की पुरानी परंपरा है। यहां तक कि कई लोक कलाकार भी अपनी टोपियों पर इस कलगी को सजावट के रूप में उपयोग करते हैं। इसी तरह देव स्थलों पर जुजुराना पक्षी के पंखों को श्रद्धा से रखा जाता है। लेकिन अब इन सभी परंपराओं पर रोक लग गई है।
क्यों लिया गया यह निर्णय?
वन विभाग का मानना है कि इन पक्षियों और जानवरों के अंगों का प्रदर्शन करने से इनके शिकार को बढ़ावा मिलता है। मोनाल और जुजुराना जैसे पक्षी पहले से ही विलुप्त होने की कगार पर हैं। इनकी सुंदरता और दुर्लभता के कारण तस्कर इनका शिकार करते हैं। इन अंगों का उपयोग प्रतीकात्मक या सजावटी रूप में होने से इनकी मांग बढ़ती है, जो संरक्षण प्रयासों को नुकसान पहुंचाती है।
पंजीकरण वाले भी नहीं कर सकेंगे प्रदर्शन
साल 2003 से पहले जिन लोगों ने इसका पंजीकरण करवाया था, उनके लिए भी नियम कड़े किए गए हैं। अब वे भी इन वस्तुओं को सार्वजनिक स्थानों पर नहीं दिखा सकेंगे। अगर किसी के पास मुख्य वन्यजीव संरक्षक द्वारा जारी स्वामित्व प्रमाण पत्र है, तो वह इन्हें अपने पास रख सकता है, लेकिन सार्वजनिक रूप से इन्हें दिखाने या पहनने की अनुमति नहीं होगी।