गंदगी व सीवरेज से दूषित हुआ हिमाचल का पानी, खतरनाक स्तर पर पहुंची TC की मात्रा

Edited By Vijay, Updated: 20 Dec, 2019 11:08 PM

water of himachal contaminated with dirt and sewerage

हिमालय की गोद में बसे हिमाचल की हवा और पानी दोनों दूषित होते जा रहे हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अक्तूबर महीने की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक बोर्ड द्वारा प्रदेशभर में 255 लोकेशन पर नदी-नालों के पानी की जांच की गई।

शिमला (ब्यूराे): हिमालय की गोद में बसे हिमाचल की हवा और पानी दोनों दूषित होते जा रहे हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अक्तूबर महीने की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक बोर्ड द्वारा प्रदेशभर में 255 लोकेशन पर नदी-नालों के पानी की जांच की गई। इनमें से 113 लोकेशन पर पानी में टोटल कोलीफोर्म (टीसी) की मात्रा तथा 24 लोकेशन पर बॉयोकैमिकल ऑफ ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) की मात्रा ज्यादा पाई गई है। ऐसे दूषित पानी का सेवन इंसानों के साथ-साथ पालतू मवेशियों व दूसरे जीव-जंतुओं के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है।

शिमला के लोग 2014 में झेल चुके हैं दंश

इसका दंश शिमला के लोग वर्ष 2014 में झेल चुके हैं, जब दूषित पानी पीने से 25,000 लोग पीलिया की चपेट में आए थे और 2 दर्जन लोगों की मौत हुई थी। पानी में टीसी का लेवल सीवरेज मिलने से बढ़ता है जबकि बीओडी शहर व उद्योगों से बहने वाली गंदगी से बढ़ रहा है। पीने के पानी में टीसी की मात्रा 50 एमएल या इससे कम होनी चाहिए। हैरानी इस बात की है कि प्रदेश के 113 नदी-नालों में टीसी की मात्रा 50 एमएल से अधिक तथा 59 लोकेशन पर पानी में इसकी मात्रा 100 एमएल से अधिक पाई गई है। कुछेक स्थानों पर तो टीसी का लेवल 1600 एमएल को भी पार कर गया है, जिससे पानी पीना तो दूर नहाने लायक भी नहीं बचा।

पीने के पानी में 2 एमजी से अधिक नहीं होना चाहिए बीओडी

इसी तरह पीने के पानी में बीओडी 2 एमजी से अधिक नहीं होना चाहिए। हिमाचल के 24 नदी-नालों में बीओडी सामान्य से अधिक पाया गया है। कुछेक स्थानों पर तो यह 30 एमजी तक पहुंच गया है। इतने दूषित पानी का खेतीबाड़ी में भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। गर्मियों में बीओडी का स्तर खासकर औद्योगिक क्षेत्रों के साथ लगते नदी-नालों में 50 एमजी तक पहुंच जाता है।

कितनी होनी चाहिए टीसी (एमएल में) और बीओडी (एमजी में) की मात्रा

 पानी की किस्म  टीसी  बीओडी
 पेयजल  50    2
 नहाने  500   3
 जंगली जानवर व मछली पालन  5000   4

इन लोकेशन पर टीसी व बीओडी की मात्रा सर्वाधिक

 लोकेशन  टीसी  बीओडी
 एमएसडब्ल्यू मंडी  920  16
 रिवालसर झील  920  12
 जतन वाला नाला   32    32
 रामपुर का जतन मोगीनंद नाला  1600  11
 स्ट्रीम नाला शिमला  1600  16
 लिफ्ट नाला  1600  12
 लिफ्ट नाला कॉब्रमेयर होटल  1600  7.2

इन वजहों से प्रदूषित हो रहा पानी

हिमाचल में बढ़ते शहरीकरण और औद्योगिकीकरण से नदी-नालों व खड्डों का पानी दूषित होता जा रहा है। इस पर न तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और न ही स्थानीय नगर निकाय रोक लगा पा रहे हैं। उद्योगों पर लगाम न होने के कारण औद्योगिक क्षेत्रों की अधिकांश नदियों का पानी जहर बन चुका है। इसी तरह शहरी इलाकों में या तो अधिकतर घर सीवरेज लाइन से नहीं जोड़े जा सके हैं या फिर सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट सही से काम नहीं कर रहे हैं। मसलन सीवरेज का बिना ट्रीट किया पानी नदी-नालों में छोडऩे से टीसी बढ़ रहा है।

पानी साफ करने को चलेगा अभियान

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आदित्य नेगी ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रदेशभर में पानी साफ बनाने को अभियान छेडऩे जा रहा है। इसे लेकर बोर्ड अधिकारियों के अलावा स्थानीय नगर निकायों को निर्देश दिए जा रहे हैं। एमसी शिमला को तो 5 लोकेशन पर पानी साफ करने के निर्देश दे दिए गए हैं।

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