विक्रमादित्य बोले-अनुदान बढ़ाकर केंद्र ने नहीं किया कोई उपकार, यह हिमाचल का वाजिब हक

Edited By Vijay, Updated: 08 Feb, 2020 09:40 PM

vikramaditya singh in shimla

कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने 15वें वित्तायोग की तरफ से प्रदेश राजस्व घाटा अनुदान को 45 प्रतिशत बढ़ाने के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि लगातार बढ़ते कर्ज से शायद हिमाचल को कुछ राहत मिलेगी। उन्होंने उम्मीद जताई है कि प्रदेश सरकार इसे...

शिमला (योगराज): कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने 15वें वित्तायोग की तरफ से प्रदेश राजस्व घाटा अनुदान को 45 प्रतिशत बढ़ाने के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि लगातार बढ़ते कर्ज से शायद हिमाचल को कुछ राहत मिलेगी। उन्होंने उम्मीद जताई है कि प्रदेश सरकार इसे फालतू में खर्च न करते हुए प्रदेश के विकास कार्यों में खर्च करेगी। उन्होंने जारी बयान में कहा कि 15वें वित्तायोग ने जो सिफारिश की है, वह प्रदेश में पूर्व कांग्रेस सरकार की बेहतर कार्यप्रणाली, आर्थिक प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के आधार पर की है।

हिमाचल को समय-समय मिलनी चाहिए विशेष आर्थिक सहायता

उन्होंने कहा कि केंद्र ने प्रदेश पर कोई उपकार नहींकिया है। यह प्रदेश का वाजिब हक था, जो मिलना ही चाहिए था। प्रदेश ने अपनी बहुमूल्य वन संपदा के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की तरफ विशेष ध्यान दिया है। यही वजह है कि हिमाचल में आज वन क्षेत्रफल भी बढ़ा है। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए हिमाचल को विशेष दर्जा देते हुए इसे विशेष आर्थिक सहायता भी समय-समय पर दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा है कि पहाड़ी प्रदेश होने की वजह से यहां विकास कार्यों की लागत अन्य मैदानी इलाकों से कहीं ज्यादा पड़ती है। इस आधार पर भी प्रदेश को केंद्र से अधिक आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए।

सरकार कैंची न चलाए तो विकास कार्यों में आएगी तेजी

उन्होंने कहा है कि बीडीसी और जिला परिषद का बजट बहाल होने से ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में भी तेजी आएगी बशर्ते सरकार इनके अधिकारों पर किसी भी प्रकार की कैंची न चलाए। उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों को बजट देने का निर्णय भी स्वागत योग्य है।

पर्यटन विकास के लिए मिले विशेष आर्थिक सहायता

उन्हेांने कहा है कि हिमाचल में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, ऐसे में पर्यटन विकास को भी विशेष आर्थिक सहायता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि रेलवे का संपर्क पर्यटन स्थलों से नाममात्र का है, इसलिए इसके विस्तार के साथ-साथ हवाई यात्रा के शुल्कों में भी कटौती की जानी चाहिए।

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