Edited By Vijay, Updated: 03 Sep, 2025 06:30 PM

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पहाड़ी राज्यों में लगातार हो रहे भूस्खलनों को लेकर एक चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने फैडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि...
सुंदरनगर (सोढी): केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पहाड़ी राज्यों में लगातार हो रहे भूस्खलनों को लेकर एक चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने फैडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पहाड़ों में हो रही इस तबाही के लिए सीधे तौर पर हाईवे बनाने वाले जिम्मेदार हैं। बेवाकी से बात करने वाले नितिन गडकरी के बयान का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
नितिन गडकरी ने अपने बयान में हाईवे के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने वाली कंपनियों पर गंभीर आरोप लगाए और उन्हें कल्प्रिट कहा। उन्होंने कहा कि ये कंपनियां घरों में बैठकर गूगल पर देखकर रिपोर्ट बना देती हैं, जबकि उन्हें जमीनी हकीकत की कोई जानकारी नहीं होती। उन्होंने कहा कि बिना किसी गहन जांच और अध्ययन के ही डीपीआर तैयार हो जाती है, जिससे निर्माण कार्य में खामियां रह जाती हैं और यही खामियां भूस्खलन का कारण बनती हैं।
नितिन गडकरी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मनाली से कुल्लू तक फोरलेन लगभग 3500 करोड़ रुपए की लागत से सड़क बनाई गई थी, लेकिन लगातार बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से सड़क पूरी तरह उखड़ गई। उन्होंने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि हर साल भूस्खलन में लोग मारे जा रहे हैं, लेकिन इसका कोई स्थायी समाधान नहीं मिल पा रहा है।
पहाड़ों में बनी सड़कों में होना चाहिए अधिक सुरंगों का निर्माण
नितिन गडकरी ने कहा कि पहाड़ों में बनने वाली सड़कों में सुरंगों का निर्माण अधिक किया जाना चाहिए, ताकि भूस्खलन के खतरे को कम किया जा सके और लोगों की जान को सुरक्षित रखा जा सके। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए हिमालयी क्षेत्रों और ब्लैक रॉक क्षेत्रों की सड़कों के अध्ययन के लिए एक अलग टीम बनाई जानी चाहिए। गडकरी ने यह भी बताया कि डीपीआर में खामियां मिलने के बावजूद टैंडर तुरंत जारी कर दिए जाते हैं, क्योंकि कई बार रिटायर्ड अधिकारी ही अपनी कंपनियों के जरिए ऐसे काम करवाते हैं। नितिन गडकरी का यह बयान सरकारी अधिकारियों और निर्माण कंपनियों की जवाबदेही पर कई सवाल खड़े करता है।