प्रदेश की सियासत में अहम स्थान रखता है ऊना, पहली बार मिली विपक्ष नेता की जिम्मेदारी

Edited By Ekta, Updated: 26 Aug, 2018 10:11 AM

una place in the state politics

प्रदेश के छोटे जिलों में शुमार ऊना प्रदेश की राजनीति में शुरू से अहम भूमिका अदा करता रहा है। जिला के दोनों प्रमुख दलों भाजपा एवं कांग्रेस के नेताओं को अहम जिम्मेदारियां मिलती रही हैं। क्षेत्रफल में भले ही जिला छोटा हो लेकिन राजनीतिक दृष्टि से ऊना का...

ऊना (सुरेन्द्र शर्मा): प्रदेश के छोटे जिलों में शुमार ऊना प्रदेश की राजनीति में शुरू से अहम भूमिका अदा करता रहा है। जिला के दोनों प्रमुख दलों भाजपा एवं कांग्रेस के नेताओं को अहम जिम्मेदारियां मिलती रही हैं। क्षेत्रफल में भले ही जिला छोटा हो लेकिन राजनीतिक दृष्टि से ऊना का प्रदेश में बड़ा योगदान रहा है। यहां के नेताओं ने विभिन्न पदों पर काम करते हुए राज्यभर में अपनी विशेष छाप छोड़ी है। अब विपक्ष के नेता के रूप में बड़ी भूमिका अदा करने वाले अग्निहोत्री पहले नेता बन गए हैं। अग्निहोत्री के कांग्रेस विधायक दल के नेता बनने और फिर नेता विपक्ष की मान्यता हासिल करने के बाद ऊना जिला राजनीतिक नजरिए से और भी अहम हो गया है। जिला के हरोली क्षेत्र से मुकेश ऐसे पहले नेता हैं, जिन्हें नेता विपक्ष की बड़ी भूमिका मिली है। 

राजनीतिक तौर पर जिला ऊना तब सुर्खियों में आया था जब जिला के कुटलैहड़ क्षेत्र से कद्दावर नेता रणजीत सिंह ठाकुर कांगड़ा के शांता कुमार से एक वोट के अंतर से मुख्यमंत्री बनने से वंचित हो गए थे। स्व. रणजीत सिंह ठाकुर कांगड़ा जिला परिषद के पहले अध्यक्ष भी थे। उनकी प्रदेश की राजनीति में गहरी पैठ थी। लोकसभा के सांसद और कुटलैहड़ से 3 बार विधायक रहे रणजीत सिंह ठाकुर का जिला के विकास में अहम योगदान माना जाता है। राज्य की राजनीति में सत्तारूढ़ दल भाजपा में भी जिला के नेताओं का खासा दखल है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के ओहदे पर विराजमान होने वाले सदर क्षेत्र ऊना से सतपाल सिंह सत्ती दूसरे नेता हैं जबकि 3 बार भाजपा का अध्यक्ष पद संभालने वाले सत्ती पहले नेता हैं। इससे पहले हरोली क्षेत्र से जयकिशन शर्मा प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद के दायित्व का निर्वहन कर चुके हैं। 

जिला ऊना के कुटलैहड़ क्षेत्र से चौथी बार विधायक तथा जयराम सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में वीरेन्द्र कंवर का भी प्रदेश की सियासत में अहम स्थान है। भाजपा सरकार में ऊना जिला से कैबिनेट मंत्री के ओहदे तक पहुंचने वाले वीरेंद्र कंवर पहले नेता हैं। इससे पहले भाजपा सरकार में ऊना को कभी कैबिनेट रैंक नहीं मिला था। कांग्रेस पार्टी में भी जिला के नेताओं का दबदबा शुरू से रहा है। जिला के चिंतपूर्णी और गगरेट क्षेत्र से बतौर विधायक रह चुके कुलदीप कुमार कांग्रेस के अध्यक्ष बनने वाले जिला के पहले नेता थे। इससे पहले वह विस उपाध्यक्ष, राज्य मंत्री, कैबिनेट मंत्री उद्योग और वित्तायोग के अध्यक्ष पद पर भी काम कर चुके हैं। पहले चिंतपूर्णी और फिर गगरेट का बतौर विधायक प्रतिनिधित्व कर चुके राकेश कालिया का भी पार्टी में बड़ा कद रहा है। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव रहे राकेश कालिया मध्य प्रदेश कांग्रेस के सह प्रभारी के रूप में काम कर चुके हैं। उन्हें कांग्रेस सरकार में बतौर सी.पी.एस. भी बनाया गया था। 

सबसे युवा विधायक बनने का रिकॉर्ड बना चुके विजय जोशी संतोषगढ़ हलके का 4 बार नेतृत्व कर उद्योग मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। कुटलैहड़ में ही 3 वोट से विधायक बनने से वंचित हुए कुटलैहड़ रियासत के राजा महेन्द्रपाल थे। यह भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है। साल 1993 से 1997 तक वीरभद्र शासनकाल की जड़ें हिलाने में ऊना के ही कांग्रेस विधायकों जोशी व ओ.पी. रतन ने बड़ी भूमिका अदा करते हुए उन्हें वर्ष 1998 के चुनावों में सरकार रिपीट करने में रोड़े अटकाए थे। हालांकि दोनों नेता अपना चुनाव भी हार गए थे। सुखराम से मिलकर वीरभद्र सिंह के खिलाफ जमकर दोनों नेताओं ने लड़ाई लड़ी थी। दोनों ही हालांकि कांग्रेस के ऊना और संतोषगढ़ हलके से विधायक थे। इसमें कुटलैहड़ से रामनाथ शर्मा का भी बड़ा हाथ रहा था।  

दोनों पार्टियों भाजपा व कांगे्रस ने ऊना जिला के नेताओं को अपनी-अपनी पार्टियों का अध्यक्ष पद सौंप कर इस जिला को महत्व दिया था। अब मुकेश अग्निहोत्री को कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाकर कांगे्रस पार्टी ने जिला को राजनीतिक तौर पर काफी अहमियत दी है। अग्निहोत्री इससे पहले सी.पी.एस. तथा कैबिनेट मंत्री के रूप में भी बेहतर काम कर चुके हैं। प्रदेश की सियासत में उनका कद लगातार बढ़ता जा रहा है। जिला ही नहीं, प्रदेश की राजनीति में इसके कई मायने भी हैं। निश्चित रूप बड़ा ओहदा मिलने से जिला को भी लाभ हुआ है और ऊना का कद प्रदेशभर में ऊंचा हुआ है। कई बार राजनीतिक उलटफेर भी कई नेताओं के बढ़ते कदमों में रोड़ा बनते हैं। तीसरी बार अध्यक्ष व ऊना सदर से 3 बार विधायक रहे सत्ती यदि इस बार चुनाव नहीं हारते तो जिला का प्रदेश की सियासत में काफी बड़ा योगदान भी हो सकता था। कई बार बड़े पदों पर पहुंचने से चूका ऊना आने वाले वर्षों में क्या रूप दिखाएगा, यह देखना अभी बाकी होगा। 

पावरफुल मंत्री रहे हैं प्रवीण शर्मा
प्रदेश की सियासत में पूर्व मंत्री के रूप में प्रवीण शर्मा भी बड़ा चेहरा रहे हैं। पार्टी के विभिन्न पदों पर रहते हुए धूमल सरकार में एक्साइज मिनिस्टर बनाए गए चिंतपूर्णी के विधायक प्रवीण शर्मा काफी पावरफुल मिनिस्टर थे। उन्हें मुख्यमंत्री आवास ओकओवर में भी ऑफिस दिया गया था। ऊना से विधायक रहे देसराज बाइया, गगरेट से साधू राम तथा चिंतपूर्णी से हंस राज अकरोट राज्य मंत्री के रूप में प्रदेश की सियासत में अपना अहम स्थान रखते थे। 

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