हिम उन्नति योजना के सफल क्रियान्वयन का उत्कृष्ट मॉडल बनकर उभरा ऊना जिला

Edited By Jyoti M, Updated: 05 Oct, 2025 01:04 PM

una district emerged as a of excellence

हिमाचल सरकार कृषि और बागवानी क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए अनेक महत्वाकांक्षी योजनाओं पर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार पारंपरिक खेती को आधुनिक तकनीकों से जोड़ते हुए प्राकृतिक खेती और पर्यावरण...

ऊना। हिमाचल सरकार कृषि और बागवानी क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए अनेक महत्वाकांक्षी योजनाओं पर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार पारंपरिक खेती को आधुनिक तकनीकों से जोड़ते हुए प्राकृतिक खेती और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठा रही है। इसी कड़ी में आरंभ की गई ‘हिम उन्नति योजना’ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने वाली परिवर्तनकारी पहल साबित हो रही है और ऊना जिला इस योजना के क्रियान्वयन में अग्रणी बनकर उभर रहा है।

ऊना में कृषि विकास की नई लहर

कृषि विभाग ऊना के उपनिदेशक डॉ. कुलभूषण धीमान बताते हैं कि हिम उन्नति योजना के अंतर्गत ऊना जिले में 10 कृषि क्लस्टर स्वीकृत किए गए हैं। प्रत्येक क्लस्टर में 15–20 किसानों को जोड़ा गया है ताकि सभी किसान प्राकृतिक विधियों से खेती करने में सक्षम बनें। इससे रासायनिक खादों पर निर्भरता घटेगी, उत्पादन लागत कम होगी और लाभ में वृद्धि होगी।

तकनीकी सहयोग और सशक्तिकरण पर जोर

उपनिदेशक बताते हैं जिले में हिम उन्नति योजना के लिए वर्ष 2025–26 में 33.50 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023–24 में 100 किसान समूहों का गठन किया गया था, जबकि 2024–25 में 10 नए क्लस्टर बनाए गए हैं । किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण, विपणन सहयोग और आधुनिक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है, ताकि कृषि-आधारित स्टार्टअप और स्वरोजगार के अवसर बढ़ सकें।

क्या है हिम उन्नति योजना

डॉ. धीमान योजना की जानकारी देते हुए बताते हैं कि हिम उन्नति योजना राज्य सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी पहल है, जिसके तहत 150 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। इस योजना को चरणबद्ध ढंग से लागू किया जा रहा है ताकि इसका लाभ राज्य के प्रत्येक पात्र किसान तक पहुंच सके। योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि में समेकित विकास, पर्यावरण संरक्षण, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना तथा युवाओं के लिए कृषि-आधारित स्वरोज़गार के अवसर सृजित करना है।

कृषि विभाग के अनुसार, योजना के तहत 40 बीघा या उससे अधिक भूमि वाले 1239 कृषि क्लस्टरों की पहचान की गई है। इनमें लगभग 50 हज़ार किसानों को शामिल करते हुए 2600 किसान समूहों के गठन का लक्ष्य रखा गया है। यह क्लस्टर-आधारित मॉडल सामूहिक खेती, तकनीकी सहयोग और बाजार से सीधे जुड़ाव के माध्यम से किसानों की आय में स्थायी बढ़ोतरी का मार्ग प्रशस्त करेगा।

किसानों को मिल रहा वास्तविक लाभ

ऊना जिले में एक प्रमुख क्लस्टर विकास खंड अंब के पंजोआ गांव में स्थापित है। यहां नरेश कुमार जैसे प्रगतिशील किसान प्राकृतिक खेती को अपनाकर उदाहरण पेश कर रहे हैं। नरेश बताते हैं कि यहां अदरक, हल्दी, सब्ज़ियों और फलों की मिश्रित खेती के साथ-साथ फेंसिंग निर्माण जैसी गतिविधियां चल रही हैं।

नरेश कुमार का कहना है कि प्राकृतिक खेती से उत्पाद की गुणवत्ता बेहतर होती है और बाजार में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। प्रदेश सरकार द्वारा प्राकृतिक गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 60 रुपये प्रति किलोग्राम तथा मक्की का 40 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित किया गया है, जिससे किसानों को अपनी मेहनत का वाजिब मूल्य मिल रहा है। बता दें, हिमाचल देश का पहला राज्य है जिसने प्राकृतिक अनाजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है, और इसका सबसे सकारात्मक प्रभाव जमीनी स्तर पर दिखाई दे रहा है, तथा इससे किसानों का आत्मविश्वास और आय दोनों बढ़े हैं।

प्रशासन किसानोन्मुखी योजनाओं के ज़मीनी कार्यान्वयन को प्रतिबद्ध

उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के निर्देशानुरूप जिला प्रशासन सरकार की सभी किसानोन्मुखी योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि हिम उन्नति योजना का लाभ ऊना जिले के प्रत्येक पात्र किसान तक पहुंचे ताकि वे आत्मनिर्भर बनें और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में सक्रिय भागीदार बन सकें। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासनिक निगरानी के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर नियमित प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को आधुनिक खेती तकनीकों से जोड़ा जा रहा है।

ऊना से प्रदेशभर के लिए प्रेरणा

ऊना जिले में हिम उन्नति योजना का मॉडल न केवल स्थानीय किसानों को समृद्ध कर रहा है, बल्कि यह समूचे हिमाचल के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गया है। प्राकृतिक एवं सामूहिक खेती और सरकार की किसानहितैषी नीतियों को लागू करने में ऊना एक उत्कृष्ट मॉडल बनकर उभरा है।

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