सरकार! इन ट्रेनर्स को 4 माह का वेतन दिलाओ, वोकेशनल एजुकेशन का भट्ठा न बैठाओ

Edited By Simpy Khanna, Updated: 13 Aug, 2019 11:24 AM

trainers did not get 4 months salary

सरकार! भट्ठा बैठा दिया है वोकेशनल एजुकेशन का। अब तो नौबत 4 माह से बिना वेतन काम करने की आ गई है। बजट का कोई समय नहीं। टी.ओ.टी. (ट्रेनिंग आफ ट्रेनर) के लिए जारी किए जाने वाले टी.ए./डी.ए. का 2 साल से भुगतान नहीं।

शिमला(प्रीति मुकुल): सरकार! भट्ठा बैठा दिया है वोकेशनल एजुकेशन का। अब तो नौबत 4 माह से बिना वेतन काम करने की आ गई है। बजट का कोई समय नहीं। टी.ओ.टी. (ट्रेनिंग आफ ट्रेनर) के लिए जारी किए जाने वाले टी.ए./डी.ए. का 2 साल से भुगतान नहीं। बिना बजट के गैस्ट लैक्चर करवाओ। बजट मिलेगा दिसम्बर-जनवरी में। कैसे होंगे बिना पैसे गैस्ट लैक्चर। बता दें कि समग्र शिक्षा अभियान ने दो माह पूर्व तीन महीने की पैंडिंग सैलरी के साथ ए.एस.टी.एम. कंपनी से 90 से ज्यादा वोकेशनल ट्रेनर्स को इंडस कंपनी में शिफ्ट किया था। 

इस दौरान विभाग ने वोकेशनल ट्रेनर्स को आश्वस्त किया था कि उनकी तीन माह की पैंडिंग सैलरी जल्द ही क्लीयर कर दी जाएगी, लेकिन आज कई महीने बीतने के बाद भी उक्त वी.टी. को पैंडिंग वेतन नहीं दिया गया है। यहां तक की नई कंपनी के अंतर्गत कार्य करते हुए उक्त वी.टी. को दो महीने हो गए हैं, यहां भी इन वी.टी. का वेतन पैंडिंग है। ऐसे में वर्तमान दौर में 4 माह से बिना वेतन इन वोकेशनल ट्रेनर्स को अपना व अपने परिवार का गुजर-बसर करना मुश्किल हो रहा है।  ये वोके शनल ट्रेनर्स अपने परिवार से दूर किराए का मकान लेकर रहते हैं। ऐसे में वेतन न मिलने पर इनकी माली हालत खस्ता है। यहां बतां दें कि उक्त वी.टी. को ए.एस.टी.एम. कंपनी द्वारा मई माह का वेतन जारी नहीं किया गया है, जबकि इंडस कंपनी ने बीते दो माह से वेतन नहीं दिया है।

कंपनी और वोकेशनल टीचर के बीच का है मामला : शिक्षा मंत्री

मामले पर शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज का कहना है कि वैसे तो ये मामला कम्पनी और वोकेशनल टीचर के बीच का है, हां यदि किसी टीचर को नियमित रूप से हर माह कंपनी द्वारा वेतन नहीं दिया जा रहा है तो उसमें शिक्षा विभाग कम्पनी को निर्देश जारी कर सकता है कि टीचर को नियमित रूप से वेतन दिया जाए। उन्होंने कहा कि वोकेशनल शिक्षा योजना केंद्र सरकार की है और केंद्र ही इसके लिए ग्रांट देती है। इसके अलावा कम्पनियां भी नैशनल स्किल डिवलैपमेंट कॉर्पोरेशन के दायरे में आती हैं। शिक्षा विभाग कम्पनियों की कार्यप्रणाली पर नजर रख सकता है और इसकी शिकायत एन.एस.डी.सी. से कर सकता है।

यह था मामला

बीते जून माह में नैशनल स्किल डिवैल्पमैंट कार्पाेरेशन द्वारा टर्मिनेटिड कंपनी के वोकेशनल ट्रेनर्स को विभाग ने इंडस कंपनी में एडजस्ट किया था। इस दौरान विभाग ने सिक्योरिटी ट्रेड के 97 ट्रेनर्स की सेवाएं को उनके पुराने स्कूल में जारी रखने के निर्देश दिए थे। विभाग ने इन्हें इंडस एडूट्रेन कंपनी में एडजस्ट किया था।

आखिर सच क्या? 

सूत्रों की मानें तो कंपनियां समय पर वोकेशनल ट्रेनर्स का वेतन जारी नहीं करतीं। विभाग के साथ किए गए एग्रीमैंट में कंपनी को स्पष्ट निर्देश हैं कि वह महीने के पहले सप्ताह में वी.टी. को सैलरी जारी करें, बावजूद इसके कंपनियां एक-दो माह बाद भी वी.टी. को वेतन नहीं देतीं। आखिर कहां फंसा रहता है यह बजट, जिसके बारे रटा-रटाया जवाब मिलता है कि बजट पीछे से नहीं आया। क्या है इस खेल के पीछे की सच्चाई। आखिर क्या भला हो रहा है सरकार का 4-4 महीने की सैलरी रोक कर। 2000 के करीब वोकेशनल ट्रेनर्स का करोड़ों का वेतन 4-4 माह रोक कर आखिर किसे लाभ पहुंचाया जा रहा है? 

मजाक बना दी है वोकेशनल एजुकेशन

अंदर की बात जब जानने की कोशिश की गई तो पता चला कि यह वोकेशनल एजुकेशन का मजाक बनाकर रख दिया गया है। वोकेशनल ट्रेनर्स को प्रशिक्षण के दौरान कहा जाता है कि स्कूलों में ज्यादा से ज्यादा गैस्ट लैक्चर करवाए जाएं, लेकिन बजट दिसम्बर-जनवरी तक जारी होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि पेपरों के दिनों में गैस्ट लैक्चर या विजिट करवाए जाएं या बच्चे पढ़ाई को महत्व दें। अगर यह सब इससे पहले होना चाहिए तो बिना बजट यह सब कैसे किया जाए। बताते चलें कि फील्ड बजट के लिए बच्चों को ले जाने को बस करनी पड़ेगी और बच्चों को कोई रिफ्रैशमैंट देनी पड़ेगी, लेकिन बिना बजट यह सब कैसे। आज के समय में तो कोई 100 रुपए उधार नहीं देता तो ऐसे में पहले काम करके दिसम्बर में बजट आने पर पैसे चुकाने का काम कैसे चलेगा। कुछ जगह जांच में यह भी पाया गया कि वोकेशनल एजुकेशन के लिए घटिया सामान की भी सप्लाई हो रही है। जमीनी स्तर पर जांच हो तो कड़वा सच सामने आएगा। 
 

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