Edited By Kuldeep, Updated: 26 Oct, 2024 11:05 AM
शिक्षा खंड सलूणी के राजकीय प्राथमिक स्कूल ग्रोहण-1 में ट्रेनी शिक्षक को अपनी नौकरी का दूसरा दिन भी स्कूल के गेट के बाहर ही जमीन पर बैठकर बिताना पड़ा।
भड़ेला (चुनीलाल): शिक्षा खंड सलूणी के राजकीय प्राथमिक स्कूल ग्रोहण-1 में ट्रेनी शिक्षक को अपनी नौकरी का दूसरा दिन भी स्कूल के गेट के बाहर ही जमीन पर बैठकर बिताना पड़ा। वहीं डैपुटेशन पर भेजे शिक्षक व अन्य स्कूली स्टाफ को भी स्कूल में एंट्री नहीं मिली। उन्हें भी गेट के बाहर ही 4 बजे तक ड्यूटी देनी पड़ी। अभिभावकों ने गेट के बाहर 4 बजे तक धरना दिया। शुक्रवार को गेट के बाहर अभिभावकों की संख्या में और इजाफा देखने को मिला। अभिभावक स्कूल में शिक्षकों के खाली पद भरने को लेकर 5 दिनों से लगातार धरने पर हैं।
हालांकि शिक्षा विभाग ने एक ट्रेनी शिक्षक को स्कूल में नियुक्त कर दिया है, लेकिन अभिभावक रैगुलर शिक्षकों की जिद पर अड़े हुए हैं। विभागीय अधिकारियों द्वारा अभिभावकों को आश्वासनों के साथ समझाने का हर प्रयास किया है, लेकिन अभिभावक स्कूल में रैगुलर शिक्षकों के पद भरने तक बात मानने को जरा भी तैयार नहीं हैं। बीते 5 दिनों से जहां अभिभावक स्कूल में रैगुलर शिक्षकों के खाली पद भरने की मांग पर अड़े हुए हैं तो वहीं उन्होंने अपने बच्चों को भी स्कूल भेजना बंद कर दिया है। स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मुकेश कुमार ने बताया कि सरकार द्वारा उनके बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि जब तक स्कूल में रैगुलर शिक्षकों के पद नहीं भर दिए जाते तब तक बच्चों को स्कूल भेजने का सवाल ही खड़ा नहीं होता। उन्होंने कहा कि विभाग ने एक ट्रेनी शिक्षक को स्कूल में नियुक्त जरूर किया है, लेकिन एक साल के बाद फिर वही समस्या खड़ी हो जाएगी। ऐसे में जब तक स्कूल में दोनों रैगुलर शिक्षक तैनात नहीं हो जाते तब तक उनका धरना जारी रहेगा और स्कूल का गेट खोलने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जल्द ही एसएमसी व पंचायत प्रतिनिधि एसडीएम सलूणी से मिलेंगे। उन्हें समस्या से अवगत करवाया जाएगा। इसके बाद भी समाधान नहीं हुआ तो डीसी चम्बा कार्यालय का रुख किया जाएगा।
प्रारंभिक खंड शिक्षा उपनिदेशक ज्ञानचंद ने बताया कि इस संबंध में विभाग के उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है। ट्रेनी शिक्षक व प्रतिनियुक्ति पर एक शिक्षक नियमित रूप से स्कूल भेजे जा रहे हैं। बच्चों के अभिभावकों को भी समझाने का प्रयास किया गया है।
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