Edited By Ekta, Updated: 16 Aug, 2018 02:22 PM
पांवटा विकास खंड के तहत आने वाला बाग आबडा गांव पर कुदरत का अजीब कहर टूट रहा है। जिससे बरसात आते ही यहां के लोगों के दिल में मौत का खौफ दस्तक देने लगता है। दरअसल यहां हर साल बरसात में पहाड़ दरकता है और यह सिलसिला पिछले कई दशकों से जारी है। जिस कारण...
पांवटा साहिब (रोबिन शर्मा): पांवटा विकास खंड के तहत आने वाला बाग आबडा गांव पर कुदरत का अजीब कहर टूट रहा है। जिससे बरसात आते ही यहां के लोगों के दिल में मौत का खौफ दस्तक देने लगता है। दरअसल यहां हर साल बरसात में पहाड़ दरकता है और यह सिलसिला पिछले कई दशकों से जारी है। जिस कारण यहां हालात यह हो गए हैं कि गांव की कई बीघा जमीन खाई का ग्रास बन गई है। जबकि बची जमीनों और घरों में दरारें आ गई हैं।
घरों के भीतर रहना खतरे से खाली नहीं है। ऐसे में लोग सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार और प्रशासन को इस गांव के हालात की जानकारी नहीं है। बाग आबड़ा के लोग हर स्तर पर अपनी समस्या के समाधान की मांग उठाते हैं लेकिन कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ती होती है। हर बार यहां खेत दरकते हैं। हर बार यहां पटवारी आकर रिपोर्ट बनाकर उच्चाधिकारियों को पहुंचा देते हैं लेकिन नतीजे कभी नहीं बदले।
बाग आबडा में साल दर साल हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। ऐसे में लोग सरकार की तरफ ताक रहे हैं लेकिन सरकार ने गांव की जमीनों और घरों को बचाने के लिए कोई पहल नहीं की। एक बरसात कट जाए तो अगली बरसात तक लोग ऊपर वाले का शुकर मनाते हैं और अगली बरसात में हादसे के डर से सहमते रहते हैं।