तीसा के इन 4 जमातियों ने कोरोना को कैस दी मात, जानने के लिए पढ़ें खबर

Edited By Vijay, Updated: 23 May, 2020 11:34 PM

these 4 jamati of tisa defeated corona

कोरोना को हराने के लिए सकारात्मक सोच व हिम्मत जरूरी है। घबराने की बजाय हिम्मत जुटाएं। स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइंस का पालन करें। कुछ ही दिनों में कोरोना संक्रमण से छुटकारा हो जाएगा। यह कहना है कोरोना से जंग जीतने वाले तीसा क्षेत्र के सबसे पहले...

चम्बा (ब्यूरो): कोरोना को हराने के लिए सकारात्मक सोच व हिम्मत जरूरी है। घबराने की बजाय हिम्मत जुटाएं। स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइंस का पालन करें। कुछ ही दिनों में कोरोना संक्रमण से छुटकारा हो जाएगा। यह कहना है कोरोना से जंग जीतने वाले तीसा क्षेत्र के सबसे पहले कोरोना पॉजीटिव पाए गए 4 जमातियों का। इन दिनों होम क्वारंटाइन तीसा की गडफरी पंचायत के मझवाड़ गांव निवासी हाफिज मोहम्मद ने बताया कि दिल्ली से लौटने के बाद वह कालोनी मोड़ में क्वारंटाइन था तो कभी आभास नहीं हुआ कि कोरोना संक्रमित हो सकते हैं। हां, बुखार जरूर था और शरीर में कुछ अकडऩ थी लेकिन फिर भी उन्हें यह नहीं लगा कि कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। 6 अप्रैल को रिपोर्ट पॉजीटिव आई तो डर तो लगा। खासकर परिजनों की चिंता सताने लगी, रात भर नींद नहीं आई। फिर हिम्मत जुटाई और ठान लिया कि इस संक्रमण को हराकर ही दम लेंगे।

मेडिकल कॉलेज नेरचौक में मिला घर जैसा माहौल

उन्हें 7 अप्रैल को मेडिकल कॉलेज नेरचौक (मंडी) शिफ्ट किया तो वहां तैनात एमएस डॉ. देवेंद्र शर्मा ने काफी हौसला दिया। उन्होंने अपने 3 साथियों अयूब, शमशदीन व जान मोहम्मद से मशविरा किया कि हम चिकित्सकों के हर आदेश का पालन करेंगे। चिकित्सकों तथा पैरामेडिकल स्टाफ ने उनकी काफी देखभाल की। उनके व्यवहार से यह महसूस नहीं हुआ कि वे अस्पताल में इस महामारी से लड़ रहे हैं। वहां घर जैसा माहौल मिला। विशेषकर एमएस डॉ. देवेंद्र, वार्ड सिस्टर हेमलता, मीना भारती, रुकमणि व डॉ. अनीता बौद्ध ने उनकी बेहतर देखभाल और इलाज किया। चारों जमातियों का कहना है कि इस बीमारी को हल्के में न लें। इसके साथ लड़ाई लंबी चलने वाली है। इसलिए खुद भी बचें और दूसरों को भी बचाएं।

बस यही चाहा कि समाज व देश में गलत मैसेज न जाए

हाफिज मोहम्मद ने बताया कि नेरचौक मैडीकल कॉलेज से छुट्टी मिलने के बाद उन्हें अंदरूनी कमजोरी महसूस हुई। चला नहीं जा रहा था। उन्होंने 20 दिन बाद सूरज देखा था। इससे पहले लगातार वह अंदर कमरे में ही रहा। मन में कई तरह के विचार आ रहे थे। सबसे बड़ी बात यह थी कि वह चाहता था कि उनकी वजह से समाज व देश में गलत मैसेज न जाए।

अभी नहीं लौटे काम पर, होम क्वारंटाइन का कर रहे पालन 

अयूब मोबाइल रिपेयर का काम करता है। इसके अलावा जान मोहम्मद कोस्मैटिक की दुकान चलाता है। शमशदीन बच्चों को उर्दू व अरबी पढ़ाता है। हाफिज मोहम्मद बाइक मैकेनिक है व पार्ट टाइम बच्चों को उर्दू व अरबी भी पढ़ाता है। मौजूदा समय में सभी होम क्वारंटाइन का पालन कर रहे हैं। जब से अस्पताल से छुट्टी मिली है वे किसी से नहीं मिले। यहां तक कि उनके परिवार के सदस्य भी किसी से नहीं मिल रहे।

30 अप्रैल को आए थे दिल्ली से चम्बा

ये लोग 30 अप्रैल को दिल्ली से चम्बा पहुंचे थे। स्वास्थ्य विभाग ने तब्लीगी जमात से जुड़े जिले के 15 लोगों के सैंपल जांच के लिए टांडा मेडिकल कॉलेज भेजे थे। इनमें तीसा के 11 लोग शामिल थे। 6 अप्रैल को इन 4 की रिपोर्ट पॉजीटिव आई थी।

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