4 दिन बाद सदन में गूंजा आउटसोर्स कर्मचारियों का मामला, विपक्ष ने किया Walkout

Edited By kirti, Updated: 11 Mar, 2020 03:38 PM

the opposition created a ruckus on the matter of outsourced employees

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के बजट प्रस्तुत करने के बाद बुधवार को एक बार फिर सदन की कार्रवाई शुरू हुई। चार दिन के अवकाश के बाद जब कार्रवाई शुरू हुई तो विधानसभा बजट सत्र के प्रश्न काल के दौरान आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन और...

शिमला (योगराज शर्मा) : हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के बजट प्रस्तुत करने के बाद बुधवार को एक बार फिर सदन की कार्रवाई शुरू हुई। चार दिन के अवकाश के बाद जब कार्रवाई शुरू हुई तो विधानसभा बजट सत्र के प्रश्न काल के दौरान आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन और भविष्य को लेकर सदन में मामला उठा।

कांग्रेस विधायक इंद्र दत्त लखनपाल ने मुख्यमंत्री से आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन को सवाल पूछा। जिसके जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कर्मचारी सरकार के स्थायी कर्मचारी नहीं है, कंपनी के माध्यम से यह लोग विभागों को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण न हो इसको लेकर सरकार ने कई कदम उठाए हैं। भाजपा सरकार ने दो बार वेतन भी बढ़ाया है और सैलेरी स्लिप देने के भी कंपनियों को निर्देश दिए गए हैं। कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित दर से मानदेय दिया जा रहा है।

वहीं विधायक राकेश सिंघा ने भी आउटसोर्स कर्मचारियों को नियुक्ति प्रमाण पत्र और 5 साल की सेवा के बाद ग्रेजुएटी देने को लेकर सरकार से विचार करने की मांग की। जिसके जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों के हितों की रक्षा करना सरकार का काम है और दो साल के कार्यकाल में आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन में लगभग 2000 प्रतिमाह बढ़ोतरी हुई है साथ ही मैटरनिटी अवकाश, कैसुअल लीव भी दी जा रही है जो पहले नहीं दी जा रही थी। ग्रेजुएटी को लेकर सरकार नियमों का अध्ययन करके विचार करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों को रखने की प्रथा कांग्रेस ने ही शुरू की थी।

विधायक इंद्र दत्त लखनपाल मुख्यमंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और कहा कि सवाल यह नहीं है कि किसने आउटसोर्स कर्मचारी रखे। सवाल यह है कि आउटसोर्स कर्मचारी का भविष्य क्या है। जिस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों का कांग्रेस सरकार ने शोषण किया है और सत्ता से बाहर होते वक्त कर्मचारियों से वीरभद्र सिंह के सातवीं बार मुख्यमंत्री बनने के पीटर हॉफ में नारे लगाए गए और कर्मचारियों को झूठा आश्वासन दिया। जिस पर विपक्ष बिफर गया और सदन के अंदर सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी और सदन की कार्यवाही से वाकआउट कर दिया।

सदन में गूंजा क्लस्टर विश्व विद्यालय का मामला

विधायक अनिल शर्मा ने प्रश्न काल में क्लस्टर विश्व विद्यालय निर्माण और इससे संबंधित महाविद्यालयों के निर्माण और 2 इंटर डीसीप्लेनरी विषय शुरू करने को लेकर शिक्षा मंत्री से सवाल किया। जिसके जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि राजकीय महाविद्यालय मंडी में सरदार वल्लभ भाई पटेल क्लस्टर विश्व विद्यालय का निर्माण तेज गति से चल रहा है और 30  प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है। जबकि राजकीय महाविद्यालय बासा का 80 प्रतिशत ,द्रंग महाविद्यालय का 5 प्रतिशत और महाराजा लक्षण सेन मेमोरियल कॉलेज सुंदर नगर 60 प्रतिशत फीसदी काम पूरा हो चुका है। जबकि अगले शैक्षणिक सत्र से 6 स्नातकोत्तर विषयों को लेकर क्लास शुरू कर दी जाएगी और 2 इंटर डीसीप्लेनरी विषय को शुरू करने का सरकार का कोई प्रस्ताव नहीं है, क्योंकि इंटर डीसीप्लेनरी विषयों को शुरू करने से पहले बेसिक साइंस और ह्यूमेनिटीज के विभाग स्थापित किये जा रहे हैं। इस बीच सुखविंदर सिंह सुखू ने कहा कि प्रदेश में निजी विश्व विद्यालय बहुत है। सरकार गुणवत्ता की ओर ध्यान दे एफिलिएटिड की जरूरत नहीं है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि गुणवत्ता के साथ एफ्फिलिअशन भी जरूरी है।
 

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