हिमाचल की राजधानी में रोप-वे से सस्ता है टैक्सी का सफर, जानिए कैसे

Edited By Punjab Kesari, Updated: 03 Jul, 2017 12:53 AM

taxi  s journey in the capital of himachal is cheaper than rope way  know how

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के सबसे प्राचीन धार्मिक स्थलों में से एक जाखू मंदिर के तक पहुंचने के लिए रोप-वे से सस्ता टैक्सी का सफर है।

शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के सबसे प्राचीन धार्मिक स्थलों में से एक जाखू मंदिर के तक पहुंचने के लिए रोप-वे से सस्ता टैक्सी का सफर है। हालांकि रोप-वे का सफर रोमांचक और आनंद प्रदान करने वाला है लेकिन यह आम आदमी की पहुंच से बाहर है। इसके लिए 1 यात्री का दोनों तरफ का किराया 550 रुपए निर्धारित किया गया है। जाखू तक पहुंचने के लिए रोप-वे के अलावा एच.आर.टी.सी. की 1 टैक्सी और प्राइवेट टैक्सी भी चलती है, जो कहीं सस्ती है। 

एच.आर.टी.सी. की टैक्सी में 20 रुपए किराया 
एच.आर.टी.सी. की टैक्सी में 1 यात्री से 20 रुपए किराया लिया जाता है, जिसमें अधिकांश तौर पर वरिष्ठ नागरिकों को तरजीह दी जाती है। हालांकि यह टैक्सी भी कई बार विभिन्न कारणों के चलते नियमित नहीं चलती। इसके अलावा मंदिर तक प्राइवेट टैक्सी से भी पहुंचा जा सकता है, जिसका किराया करीब 400 रुपए से 500 रुपए के बीच है। इस तरह यदि व्यक्ति अपने परिवार के साथ जाखू मंदिर जाना चाहता है, तो उसे जाखू रोप-वे के किराए से कहीं कम में किराया टैक्सी में देना पड़ता है। मंदिर परिसर तक शिमला से पैदल भी पहुंचा जा सकता है, जिसमें करीब आधा घंटा लगता है।

क्या है रोप-वे की भाड़ा दर
राज्य सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना के अनुसार जाखू रोप-वे में 3 साल से कम उम्र के बच्चे का टिकट नहीं लगेगा जबकि 3 से 12 साल के बीच के बच्चे का 1 तरफ का किराया 250 रुपए और दोनों तरफ का किराया 450 रुपए है। 3 से 12 साल के 2 बच्चों का 1 टिकट लगेगा। इसी तरह 12 साल से ऊपर के 1 यात्री का किराया 300 रुपए और दोनों तरफ यानि आने-जाने का किराया 550 रुपए हैं।

रोजाना सफर करते हैं औसतन 350 से 400 यात्री
रोप-वे से रोजाना औसतन 350 से 400 यात्री सफर करते हैं। इसमें अधिकांश देश-विदेश से घूमने आए सैलानी शामिल हैं। स्थानीय लोग इसका किराया कम करने की मांग कर रहे हैं लेकिन निर्माण लागत सहित अन्य कारणों का हवाला देकर इसे कम नहीं किया जा रहा है। संचालकों का कहना है कि यह किराया उनकी तरफ से तय नहीं किया गया है, इसमें सरकारी स्तर पर नियम एवं शर्तों पर तय किया गया है।

दुर्घटना पर मुआवजे का भी प्रावधान
जाखू रोप-वे में सफर के दौरान यदि किसी यात्री की मौत या स्थायी अपंगता होती है तो उस स्थिति में संचालक कंपनी को मुआवजा देना होगा। इसके तहत 1 से 12 साल के बच्चे की मौत और विकलांगता पर कम से कम 1 लाख रुपए और 12 साल से अधिक आयु वर्ग के व्यक्ति की मौत पर 5 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा।रोप-वे सुबह 9.30 बजे शुरू होगा और सायं सूर्यास्त तक चलेगा। प्रत्येक कैबिन में यात्रियों का भार 480 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए और इसकी गति 4 मीटर प्रति सैकेंड से अधिक नहीं होगी।

निर्माण कार्य पर 40 करोड़ की लागत
जाखू रोप-वे के निर्माण कार्य पर करीब 40 करोड़ रुपए की लागत आई है और इसका शिलान्यास जुलाई, 2007 में किया गया था लेकिन कुछ पर्यावरणीय कारणों तथा वन स्वीकृतियों के चलते यह कार्य 10 अप्रैल, 2017 में शुरू हुआ। इसका शुभारंभ मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने किया। सार्वजनिक व निजी भागीदारी (पी.पी.पी.) मोड पर निर्मित रोप-वे में कम्पनी को पर्यटन विभाग के माध्यम से प्रथम वर्ष सरकार को 57 लाख रुपए का लाभांश देना होगा तथा तत्पश्चात प्रत्येक वर्ष एकत्रित राशि का 15 फीसदी अदा 
करना होगा।

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