Edited By Vijay, Updated: 14 Sep, 2019 05:21 PM
शिमला में चल रहे सीटू के 13वें राज्य स्तरीय सम्मेलन में देश में चल रही भयंकर आर्थिक मंदी से बाहर निकलने को लेकर मजदूरों ने आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर ली है। पूर्व सांसद और सीटू के राष्ट्रीय महासचिव तपन सेन की अध्यक्षता में चल रहे सम्मेलन में मजदूरों...
शिमला (योगराज): शिमला में चल रहे सीटू के 13वें राज्य स्तरीय सम्मेलन में देश में चल रही भयंकर आर्थिक मंदी से बाहर निकलने को लेकर मजदूरों ने आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर ली है। पूर्व सांसद और सीटू के राष्ट्रीय महासचिव तपन सेन की अध्यक्षता में चल रहे सम्मेलन में मजदूरों ने एकजुटता के साथ केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने फैसला लिया है। सम्मेलन में मजदूरों के वेतन को न्यूनतम 18 हजार रुपए करने की मांग भी रखी गई।
मजदूरों के हक मार रही केंद्र सरकार
तपन सेन ने केंद्र सरकार पर मजदूरों के हक मारने के आरोप लगाए और कहा कि केंद्र सरकार ने 44 श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूरों पर कुठाराघात किया है। मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है। 15 लाख लोगों की नौकरियां कुछ ही दिनों में गई हैं। फैक्टरियां बंद हो गई हैं, मजदूर बेरोजगार हो गया है। सरकार की गलत नीतियों के कारण आज पढ़ा-लिखा युवा सड़कों पर बेरोजगार घूम रहा है।
मजदूर भूखा, सरकार बेशर्मी से बढ़ा रही अपने भत्ते
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जो बजट पेश किया है उसमें न्यूनतम वेतन को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। मजदूर भूखा मर रहा है लेकिन सरकार बेशर्मी से अपने भत्ते बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार विदेशी उद्योग को बढ़ावा दे रही है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को नुक्सान पहुंचा है। देश में आर्थिक मंदी को दूर करने के 2 रास्ते मजदूर आंदोलन और देश के लोगों को भूखा रखकर विदेशी निर्यात करना है लेकिन विदेशी निर्यात की दर भी 6 प्रतिशत गिर गई है, इसलिए आर्थिक मंदी से लड़ने का एक ही रास्ता मजदूर आंदोलन है, जिसको लेकर सीटू सभी मजदूर संगठनों को इकट्ठा करके आंदोलन की रणनीति तैयार कर रही है।
30 सितम्बर को दिल्ली में हाेगा राष्ट्रीय सम्मेलन
तपन सेन ने बताया कि देश के अलग-अलग शहरों में मजदूर संगठन निजीकरण के खिलाफ आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। सरकार 3 स्टील प्लांट को और ऑयल कंपनी के शेयर बेचने की तैयारी कर रही है। सीटू देश के मजदूरों के तमाम मुद्दों को लेकर 30 सितम्बर को दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मेलन करेगी, जिसमें केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन की रणनीति तय होगी। इससे पहले 24 सितम्बर को कोयला फैक्टरी में काम कर रहे मजदूर हड़ताल करेंगे और 26-27 सितम्बर को बैंक मर्जर के खिलाफ हड़ताल पर रहेंगे।