15 वर्षो से इतने रुपए पर काम कर रहे SMC नॉन-ग्रांटिड टीचर

Edited By Ekta, Updated: 03 Apr, 2019 10:38 AM

smc non granted teacher working on such rupees for 15 years

प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों में पिछले 15 वर्षों से एस.एम.सी. नॉन-ग्रांटिड टीचर मात्र 1,500 रुपए में सेवाएं दे रहे हैं। आज तक न तो इन शिक्षकों को ग्रांट इन एड के तहत लाया गया और न ही सरकार ने इनके वेतन में बढ़ौतरी की है। हालांकि चुनाव आने...

शिमला (प्रीति): प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों में पिछले 15 वर्षों से एस.एम.सी. नॉन-ग्रांटिड टीचर मात्र 1,500 रुपए में सेवाएं दे रहे हैं। आज तक न तो इन शिक्षकों को ग्रांट इन एड के तहत लाया गया और न ही सरकार ने इनके वेतन में बढ़ौतरी की है। हालांकि चुनाव आने पर इन शिक्षकों को सरकारों ने कई आश्वासन दिए। कभी इन्हें ग्रांट इन एड में शामिल करने का वायदा किया तो कभी इनकी सैलरी में बढ़ौतरी करने की बात कही गई लेकिन सरकार बनने के बाद न तो इन शिक्षकों की किसी ने सुध ली और न ही इन्हें ग्रांट इन एड में शामिल किया गया। ऐसे में इन शिक्षकों में कांग्रेस व भाजपा के प्रति गहरा रोष है। इस बार भी लोकसभा चुनाव से पहले सरकार ने शिक्षकों को लॅालीपॉप थमा दिया है। 

सरकार ने शिक्षकों को आश्वस्त किया है कि लोकसभा चुुनाव के बाद सरकार शिक्षकों को राहत देगी। गौर हो नॉन-ग्रांटिड टीचर्ज को भाजपा व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में उस समय नियुक्ति दी गई, जब दूरदराज के क्षेत्रों के अधिकतर स्कूल खाली थे। यहां नियमित शिक्षक नहीं आते थे, यदि उन्हें इन क्षेत्रों में ट्रांसफर देते थे तो वे अपनी एडजस्टमैंट सामान्य क्षेत्रों के स्कूलों में करवा लेते थे। इस कारण इन स्कूलों में एस.एम.सी. के तहत शिक्षकों की नियुक्ति की गई। वर्ष 2006-07 में स्कूलों में नॉन-ग्रांटिड टीचरों की नियुक्ति की गई जबकि इसके बाद शिक्षा विभाग द्वारा एस.एम.सी. पॉलिसी लाई गई और इसके तहत स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती की, जिन्हें ग्रांट इन एड के तहत नियुक्ति दी गई है।

भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत स्कूलों में लगे थे 700 नॉन-ग्रांटिड टीचर

ये नॉन-ग्रांटिड टीचर भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत स्कूलों में लगे थे। इनमें जे.बी.टी. डी.एम, पी.ई.टी, टी.जी.टी, शास्त्री और पी.जी.टी. शिक्षक शामिल हैं। मौजूदा समय में लगभग 700 नॉन-ग्रांटिड टीचर स्कूलों में सेवाएं दे हैं। ये शिक्षक अधिकतर शिमला, सिरमौर, चम्बा व किन्नौर जिला के स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। ये शिक्षक सभी योग्यता पूरी करते हैं। जे.बी.टी. व टी.जी.टी. शिक्षक टैट क्वालीफाई और बी.एड हैं। इसी तरह दूसरे वर्ग के शिक्षक भी योग्य हैं।

शिक्षकों को दिखाया था बाहर का रास्ता

पूर्व कांग्रेस सरकार व भाजपा सरकार ने स्कूलों में सेवाएं दे रहे इन शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाया है। लगभग 150 शिक्षकों को नियमित शिक्षक के आने के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा है। पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में दर्जनों शिक्षकों को निकाला गया था। इस दौरान चम्बा जिला के स्कूलों में सेवाएं दे रहे शिक्षकों को बाहर किया गया था। हालांकि इन शिक्षकों ने सरकार के समक्ष अपनी मांगें भी उठाईं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। गौर हो कि नॉन-ग्रांटिड टीचर को 1,500, 2,000 और 2,500 रुपए प्रतिमाह दिए जाते हैं। इसके अलावा कई नॉन-ग्रांटिड टीचर स्कूलों में नि:शुल्क सेवाएं भी दे रहे हैं।

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