Sirmour: महादेव के इस अलौकिक मंदिर का द्वापर युग से जुड़ा है इतिहास

Edited By Kuldeep, Updated: 28 Jul, 2025 06:34 PM

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जिला सिरमौर के मुख्यालय नाहन से लगभग 22 किलोमीटर दूर पांवटा साहिब उपमंडल के कोलर गांव में श्री दुद्धेश्वर महादेव का आलौकिक एवं भव्य मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है।

सिरमौर: जिला सिरमौर के मुख्यालय नाहन से लगभग 22 किलोमीटर दूर पांवटा साहिब उपमंडल के कोलर गांव में श्री दुद्धेश्वर महादेव का आलौकिक एवं भव्य मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां हर सोमवार को भक्तों का भारी तांता लगा रहता है। श्रावण मास के हर सोमवार और फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी (शिवरात्रि पर्व) पर तो यहां की शोभा और श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बनती है। भोलेबाबा यहां आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना पूरी करते हैं।

वस्तुत: शिवालिक पहाड़ियों के आंचल में बसा यह गांव दून घाटी के प्रवेश द्वार के रूप जाना जाता है। सिरमौर जिले का यह सबसे बड़ा गांव है। यहां एक अति प्राचीन शिवालय है, जिसका इतिहास द्वापर युग से जुड़ा बताया जाता है। पांडव यहां वनवास के समय एक रात ठहरे थे। यहां उन्होंने रात्रि विश्राम, भजन-कीर्तन और शिव लिंग की स्थापना की थी।

पूरा हिमालय क्षेत्र शिव भूमि के रूप में जाना जाता है।कोन्तेय अर्जुन ने अपनी प्रमुख सिद्धियां हिमालय क्षेत्र में ही प्राप्त की थीं। मंदिर के साथ ही पीपल का सदियों पुराना पेड़ है, जिसे श्रद्धालु सिद्धेश्वर के रूप में पूजते हैं। मंदिर के दक्षिण दिशा में श्रीश्री 1008 महंत श्री दत्त गिरि जी महाराज (समाधिमान) रूप में स्थित हैं। स्थानीय विद्वानों का मानना है कि समाधिमान महंत से पूर्व भी यहां चमत्कारी महात्माओं का आश्रम रहा।

इन साधु-महात्माओं के निरन्तर भजन से क्षेत्र में सदा ही सुख, शांति, समृद्धि व दूध-पूत में वृद्धि होती रही है। यहां पर स्थित धूना सदियों से ही अखंड चैतन्य रूप से चला हुआ है। इस मंदिर में विराजमान श्री महंत नागा बाबा अनमोल गिरि के अनुसार मंदिर परिसर में समय-समय पर श्री शिवमहापुराण कथा, श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जाता रहता है, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों का सान्निध्य, उपस्थिति एवं सहयोग जुड़ा रहता है।

ग्रह शांति के लिए किया श्री महामृत्युंजय जाप और कालसर्प दोष निवारण के लिए यहां की गई पूजा विशेष फलदाई है। फाल्गुन और श्रावण मास में यहां कांवड़ियों की भीड़ देखते ही बनती है। विशेष अवसरों पर यहां भंडारों का आयोजन किया जाता है। स्थानीय महिलाओं द्वारा यहां समय-समय पर भजन-कीर्तन भी किया जाता है।

सुभाष चंद्र शर्मा, गांव खदरी, बिक्रम बाग, नाहन (सिरमौर) का कहना है कि वरिष्ठ पत्रकार दिनेश कुमार का मानना है कि श्री दुद्धेश्वर महादेव यहां के ईष्टदेव के रूप में पूजे जाते हैं, जो प्राणी मात्र को सभी शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक कष्टों को दूर करते हैं। यहां भारी संख्या में बाहर से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। इन दिनों श्रावण मास में मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है।

 

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