Edited By Kuldeep, Updated: 08 Jul, 2024 06:17 PM
मौसम में बदलाव के साथ संक्रमण होना आम बात है और बरसात के मौसम में कई रोगों के साथ आई फ्लू फैल जाता है। यदि आई फ्लू हुआ है तो इसे हल्के में बिल्कुल न लें।
शिमला (संतोष): मौसम में बदलाव के साथ संक्रमण होना आम बात है और बरसात के मौसम में कई रोगों के साथ आई फ्लू फैल जाता है। यदि आई फ्लू हुआ है तो इसे हल्के में बिल्कुल न लें। आई फ्लू एक तेजी से फैलने वाला संक्रमण है, जो इस मौसम में तेजी से फैलता है। इस फ्लू को कंजैक्टिवाइटिस भी कहा जाता है। इसमें आंखों में जलन,दर्द और लालिमा जैसी परेशानियां देखने को मिलती हैं। इस बीमारी का मुख्य कारण एलर्जिक रिएक्शन होता है। यह संक्रमण किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन ज्यादातर यह बच्चों को चपेट में लेता है। इसके लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जानकारी के अनुसार हिमाचल में मानसून का दौर चला हुआ है और इस दौरान आंखों में संक्रमण की समस्या भी बढ़ जाती है। पिछले वर्ष 2023 में बरसात के मौसम में अकेले आईजीएमसी शिमला में आईफ्लू के 230 मामले आए थे जबकि इस वर्ष अभी 3-4 मामले आ चुके हैं। यह वायरस से होने वाली एक समस्या है और इस दौरान मरीजों को आंखों में दर्द, लाली आने समेत कई समस्याएं हो जाती हैं। ऐसे में इस मौसम के दौरान आंखों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
क्या होता है आई फ्लू यानी कंजैक्टिवाइटिस
आई फ्लू यानि कंजैक्टिवाइटिस को पिंक आई के रूप में भी जाना जाता है। यह एक संक्रमण है, जो कंजैक्टिवा की सूजन का कारण बनता है। कंजैक्टिवा क्लीयर लेयर होती है, जो आंख के सफेद भाग और पलकों की आंतरिक परत को कवर करती है। मानसून के दौरान कम तापमान और हाई ह्यूमिडिटी के कारण लोग बैक्टीरिया, वायरस और एलर्जी के संपर्क में आते हैं, जो एलर्जिक रिएक्शन्स और आई इंफैक्शन जैसे कंजैक्टिवाइटिस का कारण बनते हैं। वायरल संक्रमण के कारण होने वाली सूजन के कारण आंखें गुलाबी या लाल दिखाई दे सकती हैं तथा प्रभावित आंखों में लगातार खुजली हो सकती है जिससे असुविधा और रगड़ हो सकती है, वहीं अत्यधिक पानी निकलना इस नेत्र रोग का एक सामान्य लक्षण है।
बारिश के मौसम में आई फ्लू सामान्य बीमारी, घबराएं नहीं, अपितु बरतें सावधानी : डा. शर्मा
आईजीएमसी शिमला के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डा. आरएल शर्मा ने कहा कि बरसात के मौसम में आई फ्लू सामान्य बीमारी है। बरसात में सबसे ज्यादा मामले आई फ्लू के सामने आते हैं जिसके चलते आंखों में लालपन, सूजन और दर्द बढ़ जाता है। कुछ मरीजों में आंखों में बार-बार सफेद कीचड़ आने और पानी बहने के लक्षण भी दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि इससे घबराने की ज्यादा जरूरत नहीं है और यह तीन से पांच दिन में ठीक हो जाता है। बरसात के मौसम में खासतौर पर जब कहीं पर पानी जमा होता है तो वहां पर मच्छर-मक्खियों के साथ-साथ कई तरीके के संक्रमित जीवों का पनपना भी शुरू हो जाता है और इस दौरान पानी और खाने को बेहद साफ-सफाई के साथ रखना और खाना चाहिए। इस दौरान खुले में या दूसरी जगह पर रखी गई किसी भी वस्तु को खाने-पीने से बचना चाहिए तथा हमेशा पैकेट बंद सामान का इस्तेमाल करना चाहिए।
ये बरतें सावधानियां
-बारिश में भीगने के बाद आंखों को साफ पानी से धोएं। यह इसलिए कि बारिश के पानी में धूल के कण पाए जाते हैं जिससे आपकी आंखों में इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
-आंखों को धोने के बाद साफ कपड़े से इन्हें साफ करें।
-आंखों को गंदे हाथों से न छुएं।
-बच्चों को बार-बार आंखों को मलने और छूने से रोकें।
-आसपास किसी को आई फ्लू की आशंका लगे तो आंखों को साफ पानी से धोएं और ठंडे पानी से सिंकाई करें।
-अगर किसी को घर में आई फ्लू की दवा डालते हैं तो उसके बाद अपने हाथों को साबुन से धोएं।
-आंखों में लाली, जलन और खुजली होने पर डाक्टर की सलाह लें, खुद से दवा न डालें।
-दैनिक उपयोग की वस्तुएं जैसे तौलिया इत्यादि अलग रखें और किसी को इस्तेमाल न करने दें।
-अगर आप कांटैक्ट लैंस लगाते हैं तो संक्रमण के दौरान इन्हें न लगाएं और अपने चिकित्सक से सलाह लें।
-बरसात में बच्चों को पानी से भरे गड्ढों और पोखरों से दूर रखें, क्योंकि अधिकतर इन्हीं स्थानों से बैक्टीरिया पनपते हैं।
-ताजा खाना खाएं और साफ पानी पीएं।
-बाहर से आने पर हमेशा हाथ साबुन से धोएं।