Edited By Kuldeep, Updated: 10 Dec, 2019 09:54 PM
देश में बढ़ती महंगाई पर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। वीरभद्र सिंह ने कहा है कि अपने राजनीतिक जीवनकाल में उन्होंने महंगाई का ऐसा रौद्र रूप पहले कभी नहीं देखा।
शिमला: देश में बढ़ती महंगाई पर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। वीरभद्र सिंह ने कहा है कि अपने राजनीतिक जीवनकाल में उन्होंने महंगाई का ऐसा रौद्र रूप पहले कभी नहीं देखा। देश की आॢथक परिस्थितियों को सुधारने की बजाय बदतर बनाया जा रहा है। पूरे देश में निराशाजनक माहौल बना हुआ है। घर-घर के अजीज प्याज की कीमतें ही अब तो दोहरा शतक पार करने जा रही हैं। उन्होंने कहा है कि ऐसी परिस्थितियों से देश कभी नहीं जूझा। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि देश की जीडीपी दर ही 4 प्रतिशत तक पहुंचने वाली है, जो चिंतनीय है। ऐसी ही स्थितियों से हिमाचल प्रदेश भी गुजर रहा है। वीरभद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने अपनी जिंदगी का आधे से ज्यादा सफर राजनीति में ही बिताया है लेकिन ऐसी परिस्थितियां पहले कभी नहीं देखीं, जब जनता के मन में ही सरकार के खिलाफ इस तरह का आक्रोश हो। पूरा देश सरकार की चालाकियों व नाकामियों से अवगत हो चुका है। न तो किसी विजन से काम किया जा रहा है और न ही नीयत सही है। उन्होंने कहा है कि सरकार राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ द्वेष की भावना से मामले दर्ज करवाने में लगी हुई है।
स्कूल वर्दी में बड़े गोलमाल की आशंका
वीरभद्र सिंह ने राज्य सरकार को भी आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा है कि बीते 2 साल में राज्य की भाजपा सरकार ने भी प्रदेश की जनता को निराश ही किया है जबकि धरातल पर कोई काम नहीं हो रहा है। स्कूल वर्दी खरीद में ही बड़े स्तर पर गोलमाल की आशंका जताई जा रही है, जिस पर कांग्रेस पार्टी द्वारा मामला उठाने के बाद जांच बिठाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर विफल होती नजर आ रही है।
नई-नवेली सरकार तो नहीं, जिसे अब भी दें संभलने का अवसर
पूर्व मुख्यमंत्री ने हैरानी जताते हुए कहा कि जनता के पैसे से इन्वैस्टर मीट जैसा मैगा इवैंट करवाने के बावजूद राज्य सरकार के हाथ खाली रह गए हैं, जबकि इस पर सरकार ने खूब शोर-शराबा किया। उन्होंने कहा कि सरकार को अब इन्वैस्टर मीट पर कितना निवेश हुआ, विधानसभा सत्र में इसका जवाब देना ही होगा। उन्होंने कहा कि सरकार की नाकामियां उजागर हो रही हैं तथा अब ऐसा भी नहीं कह सकते हैं कि कोई नई-नवेली सरकार बनी हुई है, जिसे संभलने का और ज्यादा अवसर दिया जाए।