मुझे अपना प्यार देते रहें, मैंने हिम्मत से जीने का निर्णय लिया है : शांता

Edited By Vijay, Updated: 05 Jan, 2021 11:03 PM

shanta kumar in palampur

यदि जीवन में संतोष न होती तो देश तथा प्रदेश की ऐसी सेवा नहीं कर पाता। हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी द्वारा संतोष शैलजा को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित कार्यक्रम में भावुक शांता कुमार ने यह बात कही। अपने संबोधन के दौरान अनेक बार शांता कुमार भावुक...

पालमपुर (भृगु): यदि जीवन में संतोष न होती तो देश तथा प्रदेश की ऐसी सेवा नहीं कर पाता। हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी द्वारा संतोष शैलजा को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित कार्यक्रम में भावुक शांता कुमार ने यह बात कही। अपने संबोधन के दौरान अनेक बार शांता कुमार भावुक हुए। उन्होंने कहा कि ऐसे जीवन साथी को भूलना कठिन है परंतु वेदांत के अनुसार मृत्यु जीवन का अंत नहीं अपितु जीवन शाश्वत चलता रहता है तथा मृत्यु जीवन की पूर्णता है। संतोष शैलजा ने भी पूर्णता के साथ जीवन जिया। उन्होंने जीवन ही नहीं जिया अपितु मेरा जीवन लिखवा कर भी गई।

शांता कुमार का कहना है कि 1 वर्ष की अवधि तक निरंतर आत्मकथा लिखवाने में उनका सहयोग रहा तथा इस आत्मकथा के शीर्षक को भी उन्होंने ही अंतिम रूप दिया। शांता कुमार के अनुसार आत्मकथा का पहला पृष्ठ मां को समर्पित है, अब दूसरा पृष्ठ वह संतोष शैलजा को समर्पित करेंगे। शांता कुमार ने लोगों से भावुक अपील करते हुए कहा कि मुझे अपना प्यार देते रहें, मैंने हिम्मत से जीने का निर्णय लिया है। हिम्मत प्रभु देगा, प्यार आप देना। उन्होंने लोगों से इस वैश्विक महामारी से बचाव के लिए सभी नियमों के अनुपालन करने का आग्रह किया।

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