शिमला में APMC के टोल बैरियर पर बवाल, सरकार की Policy पर उठे सवाल

Edited By Vijay, Updated: 10 Sep, 2019 11:09 PM

scourge on toll barrier of apmc

प्रदेश के विभिन्न जिला में कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के टोल बैरियर को लेकर राज्य सरकार की कथित भेदभाव वाली नीति पर सवाल उठने लगे हैं। प्रदेश के 8 जिलों में एपीएमसी के सरकार ने टोल बैरियर बंद कर रखे हैं जबकि शिमला और सोलन जिला में ही टोल बैरियर...

शिमला: प्रदेश के विभिन्न जिला में कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के टोल बैरियर को लेकर राज्य सरकार की कथित भेदभाव वाली नीति पर सवाल उठने लगे हैं। प्रदेश के 8 जिलों में एपीएमसी के सरकार ने टोल बैरियर बंद कर रखे हैं जबकि शिमला और सोलन जिला में ही टोल बैरियर पर मार्कीट शुल्क की वसूली जारी है। हालांकि सोलन जिला के टोल बैरियर पूर्व कांग्रेस सरकार में भी चलते रहे हैं लेकिन शिमला के 3 बैरियर को बीते साल ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने चलाने की अनुमति दी है जबकि इन बैरियर पर हमेशा व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहे हैं। प्रदेशभर में एपीएमसी के तकरीबन डेढ़ दर्जन टोल बैरियर हैं लेकिन बीते 2 साल से शिमला और सोलन जिला को छोड़कर अन्य सभी बैरियर बंद पड़े हैं। इन बैरियर में सेब पर एक फीसदी की दर से मार्कीट फीस ली जा रही है।

बागवानों से नहीं लिया जा सकता मार्कीट शुल्क

एपीएमसी एक्ट के हिसाब से बागवानों से मार्कीट शुल्क नहीं लिया जा सकता है लेकिन प्रदेश के बागवान समय-समय पर उनसे भी मार्कीट शुल्क लेने की शिकायतें करते रहे हैं, वहीं एपीएमसी 5 तरह के दस्तावेज दिखाने की बात करके बागवानों से मार्कीट फीस न लेने के दावे करता है। कृषि मंत्री सहित उच्च अधिकारी कोई भी टोल बैरियर चलाने के पक्ष में नहीं थे क्योंकि इन बैरियर के कारण कई बार बागवानों से वसूली के साथ-साथ सड़क पर यातायात भी बुरी तरह से प्रभावित होता रहा है। बावजूद इसके कुछेक पदाधिकारियोंके रसूख के कारण शिमला में टोल बैरियर चलाने की अनुमति दी गई है।

भ्रष्टाचार का अड्डा रहे हैं टोल बैरियर

पूर्व वीरभद्र सरकार में सोलन जिला को छोड़कर अन्य सभी जिला में टोल बैरियर बंद किए गए थे। उस दौरान परवाणु भाजपा ने ही विपक्ष में रहते हुए कई करोड़ों के भ्रष्टाचार का सरकार पर आरोप जड़ा था। हालांकि इस मामले की अभी जांच चल रही है, ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि यदि शिमला जिला में टोल बैरियर सही हैं तो इन्हें चलाने की अनुमति अन्य जिला में भी मिलनी चाहिए। केवल शिमला जिला के बागवानों से ही मार्कीट शुल्क लेना तर्कसंगत नहीं है।

क्या कहते हैं फल एवं सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष

फल एवं सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि एपीएमसी के बैरियर में बागवानों से भी मार्कीट शुल्क काटा जा रहा है। ऐसे सभी बैरियर अन्य जिला की भांति बंद होने चाहिए। मार्कीट शुल्क तब लिया जाना चाहिए यदि बागवान या लदानी एपीएमसी के यार्ड का इस्तेमाल करता हो।   

क्या बोले मार्कीटिंग बोर्ड के चेयरमैन

मार्कीटिंग बोर्ड के चेयरमैन बलदेव भंडारी ने कहा कि शिमला जिला के बैरियर को बहाल करने का मामला मेरे टाइम का नहीं है, लेकिन शिमला में बैरियर बहाल होने के बाद अन्य जिला से इन्हें शुरू करने की रिक्वैस्ट आई है। मार्कीटिंग बोर्ड ने सभी एपीएमसी की रिक्वैस्ट सरकार को भेज रखी है।

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