Edited By Ekta, Updated: 15 Oct, 2018 06:14 PM
यूं तो केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की जयराम सरकार सब पढ़ो, सब बढ़ो का नारा देते नहीं थकती और घर द्वार पर शिक्षा मुहैया करवाने के दावे करती है। लेकिन पांवटा के गिरीपार क्षेत्र में यह दावे खोखले साबित हो रहे हैं। यहां के पुंडला गांव में ना तो सड़क...
पांवटा साहिब (रॉबिन शर्मा): यूं तो केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की जयराम सरकार सब पढ़ो, सब बढ़ो का नारा देते नहीं थकती और घर द्वार पर शिक्षा मुहैया करवाने के दावे करती है। लेकिन पांवटा के गिरीपार क्षेत्र में यह दावे खोखले साबित हो रहे हैं। यहां के पुंडला गांव में ना तो सड़क है और न ही यातायात का कोई साधन जिससे गांव के मासूम बच्चे रोजाना अपनी जान हथेली पर लेकर पढ़ने के लिए स्कूल जाते हैं। गांव से स्कूल का रास्ता करीब 6 से 7 किलोमीटर है जिसे मासूम बच्चे पैदल तय करते हैं। इस दौरान जंगली रास्ते में बच्चों को खतरनाक जानवरों का भी डर लगा रहता है। लेकिन ये मासूम बच्चे अपना भविष्य संवारने के लिए मजबूरी में रोज यह जोखिम उठाते हैं।
बच्चों स्कूल जाने के लिए सुबह 6 बजे घर से निकलते हैं और तीन घंटे का खतरनाक सफर तय कर 9 बजे स्कूल पहुंचते हैं। कई बार स्कूल में देरी से पहुंचने पर उन्हें डांट भी खानी पड़ती है। जबकि शाम को वापसी में घर पहुंचते-पहुंचते अंधेरा हो जाता है। गांव के लोगों को भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने में डर लगता है कि कहीं कोई अनहोनी ना हो जाए। लोगों का कहना है कि सीएम जयराम ठाकुर को भी उनकी दशा का अंदाजा होगा, क्योंकि कुछ दिन पहले ही उन्होंने बताया था कि जब वह स्कूल जाते थे तो उन्हें भी रोजाना करीब 9 घंटे पैदल चलना पड़ता था। इसलिए उन्होंने अपील की है कि या तो सड़क बनाई जाए या फिर गांव में भी प्राथमिक स्कूल खोला जाए।
पिछले कुछ दिनों में हिमाचल के जंगलों में स्कूली बच्चों के साथ दर्दनाक हादसे हो चुके हैं। जिसमें कोटखाई का गुड़िया कांड और शिलाई क्षेत्र का शालू कांड है। ऐसे में लोगों की अपील है कि सरकार इन हादसों से सबक ले और उनकी समस्या और डर को समझते हुए इस ओर ध्यान दे। अब देखना होगा कि मासूम बच्चों की समस्या और लोगों की अपील का प्रदेश सरकार पर क्या असर होता है। क्योंकि सीएम जयराम ठाकुर भी बचपन में ऐसी तकलीफें झेल चुके हैं। लिहाजा उम्मीद की जानी चाहिए की सरकार जल्द से जल्द पुंडला गांव की समस्या का कोई समाधान करेगी।