छात्रवृत्ति घोटाला : 3 पार्टनरों ने 8800 छात्रों के नाम पर हड़पी 30 करोड़ की राशि

Edited By Vijay, Updated: 18 Feb, 2021 12:07 AM

scholarship scam 3 partners seized rs 30 crore in name of 8800 students

265 करोड़ से अधिक के छात्रवृत्ति घोटाले में एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं। सूत्रों के अनुसार सीबीआई जांच में सामने आया है कि 3 पार्टनर ने 9 फर्जी शिक्षण संस्थानों के माध्यम 8800 छात्रों के नाम पर करीब 30 करोड़ की राशि हड़प ली। फर्जी तरीके से...

शिमला (राक्टा): 265 करोड़ से अधिक के छात्रवृत्ति घोटाले में एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं। सूत्रों के अनुसार सीबीआई जांच में सामने आया है कि 3 पार्टनर ने 9 फर्जी शिक्षण संस्थानों के माध्यम 8800 छात्रों के नाम पर करीब 30 करोड़ की राशि हड़प ली। फर्जी तरीके से ताना-बाना बुन सभी छात्रों के नाम पर हिमाचल और चंडीगढ़ स्थित 5 बैंकों में खाते खोले गए। इसके बाद संबंधित खातों में पड़ी करीब 30 करोड़ की छात्रवृत्ति राशि को 2 बैंकों के खातों में ट्रांसफर करवाया गया। संबंधित 2 बैंक खातों में एक कंपनी और एकसोसायटी के नाम से है। फर्जी डैबिट अथॉरिटी के माध्यम से राशि को ट्रांसफर करवाया गया।

4 से 5 वर्ष में हड़प ली 30 करोड़ की छात्रवृत्ति

फर्जी संस्थानों के माध्यम से शातिरों ने सिस्टम की आखों में ऐसी धूल झोंकी कि 4 से 5 वर्ष में ही करीब 30 करोड़ की छात्रवृत्ति हड़प ली गई। जांच में पाया गया है कि छात्रवृत्ति हड़पने के लिए ऐसे शिक्षण संस्थान, जिनका पात्रता के मसले में कोई रिकार्ड तक नहीं मिला है, वे विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति के लिए क्लेम करते थे और इसके लिए फर्जी तरीके से छात्रों के दस्तावेज तैयार करने के साथ ही बैंक खाते खोले गए और धनराशि हड़पी गई। इस मामले में कर्नाटक से जुड़ी एक डीम्ड यूनिवर्सिटी भी जांच के दायरे में आ रही है। सूत्रों के अनुसार वर्ष 2013 से 17 के बीच में इस घोटाले को अंजाम दिया गया।

प्रदेश में चलाए जा रहे थे 9 संस्थान

सूत्रों के अनुसार करोड़ों की राशि हड़पने के लिए 9 संस्थानों के तहत प्रदेश में 4 संस्थान नाहन, ऊना, कांगड़ा और चम्बा में एक स्किल डिवैल्पमैंट सोसायटी के नाम से चलाए जा रहे थे। इसी तरह जिला कांगड़ा के तहत एक आईटीआई और अन्य स्थानों पर नाइलेट के नाम से 4 शिक्षण संस्थान चलाए जा रहे थे। इनके 8 शिक्षण संस्थानों को करीब 29.80 करोड़ और एक आईटीआई को करीब 50 लाख रुपए जारी हुए।

9 संस्थानों के 3 निदेशक

सूत्रों के अनुसार 9 संस्थानों के 3 पार्टनर (निदेशक) हैं, जिनमें शिक्षा निदेशालय में तैनात तत्कालीन अधीक्षक अरविंद राजटा की पत्नी बबीता राजटा, माहौली निवासी कृष्ण कुमार व राजदीप सिंह शामिल हैं। इनकी आपस में 33-33 प्रतिशत की हिस्सेदारी बताई जा रही है। इस पूरे मामले में अरविंद राजटा का रोल सबसे अहम रहा है। सूत्रों के अनुसार अरविंद राजटा के माध्यम से ही कृष्ण कुमार व राजदीप भी ऐसा कर पाए। सीबीआई सूत्रों के अनुसार राजटा की पत्नी को भी काफी हद तक इस पूरे खेल की जानकारी थी। हालांकि यह अभी जांच का विषय है।

जांच की जद्द में आए 5 बैंक

इस मामले के तहत 5 बैंक भी जांच दायरे में हैं। इनमें पंजाब नैशनल बैंक की चंडीगढ़ स्थित एक शाखा, इलाहाबाद बैंक की चंडीगढ़, पंचकूला और सोलन स्थित शाखा तथा बैंक ऑफ बड़ौदा की चंडीगढ़ स्थित शाखा शामिल है। सूत्रों के अनुसार सी.बी.आई. की जांच में कुछ तत्कालीन अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

2 चार्जशीट की जा चुकी हैं दायर

छात्रवृत्ति घोटले में 25 से 27 निजी संस्थान जांच के दायरे में हैं। इसके तहत केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीच्यूट के 2 संस्थानों से जुड़े मामले में चालान पेश हो चुका है। इसी तरह तीसरे मामले के तहत अब 9 संस्थान से जुड़े मामले में एक ही चार्जशीट दायर होगी। सीबीआई जांच दायरे में चल रहे अन्य संस्थानों से जुड़े मामलों में तथ्य आने पर अलग-अलग चार्जशीट दायर होगी।

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