Edited By Kuldeep, Updated: 09 Jun, 2024 07:48 PM
जिला किन्नौर के काशंग व सांगला कंडे में ग्लेशियर के पिघलने से कृत्रिम झील बनने की सूचना मिली है। यह जानकारी डीसी किन्नौर डा. अमित कुमार शर्मा ने मीडिया को दी।
रिकांगपिओ (रिपन): जिला किन्नौर के काशंग व सांगला कंडे में ग्लेशियर के पिघलने से कृत्रिम झील बनने की सूचना मिली है। यह जानकारी डीसी किन्नौर डा. अमित कुमार शर्मा ने मीडिया को दी। उन्होंने बताया कि जिला किन्नौर में मानसूनी आफत से किस प्रकार से जानमाल के नुक्सान से बचा जा सके, उसे लेकर किन्नौर प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं तथा जिला किन्नौर में भूस्खलन, बाढ़ और ग्लेशियर पिघलने से बनने वाली कृत्रिम झीलें सबसे बड़ा खतरा हैं। उन्होंने बताया कि किन्नौर जिले के सांगला कंडे और काशंग कंडे में ग्लेशियर पिघलने से 2 कृत्रिम झीलें बनने की जानकारी मिली है और शीघ्र ही एनआरएससी और सी टाइप के माध्यम से एक्सपिटिशन भी किया जाएगा कि यदि भविष्य में ये कृत्रिम झीलें टूटती हैं तो इससे सांगला वैली और काशंग कंडे के आसपास आने वाले क्षेत्रों को नुक्सान होगा या नहीं। उन्होंने यह भी बताया कि किन्नौर जिले में आपदाओं से निपटने के लिए 14 जून को मॉकड्रिल भी आयोजित की जाएगी तथा इस मॉकड्रिल में आईटीबीपी, पुलिस व होमगार्ड सहित अन्य विभाग भाग लेंगे। विदित रहे कि इससे पूर्व भी वर्ष 2000 तथा 2005 में तिब्बत के पारछू में बनी कृत्रिम झील के टूटने से सतलुज नदी में आई बाढ़ से नदी का जल स्तर बढ़ गया था, जिससे जिला किन्नौर सहित रामपुर में भी भारी तबाही हुई थी और यदि भविष्य में सांगला व काशंग कंडे में बनी कृत्रिम झीलें भी टूटती हैं तो भारी तबाही हो सकती है, ऐसे में किन्नौर प्रशासन ने प्राइमरी स्तर पर ही इन कृत्रिम झीलों की मॉनीटरिंग शुरू कर दी है, ताकि इन घटनाओं को टाला जा सके या नुक्सान के आंकड़े को कम से कम किया जा सके।
हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here