Edited By Vijay, Updated: 28 Jan, 2020 04:31 PM
अविश्वास व मनमानी के नए दौर की राजनीति में देश पर ईस्ट इंडिया सरीखी कंपनियों के राज का खतरा मंडराने लगा है। यह बात कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रैस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत एजैंडे पर देश को चलाने की मोदी राज की नीति...
हमीरपुर (ब्यूरो): अविश्वास व मनमानी के नए दौर की राजनीति में देश पर ईस्ट इंडिया सरीखी कंपनियों के राज का खतरा मंडराने लगा है। यह बात कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रैस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत एजैंडे पर देश को चलाने की मोदी राज की नीति के कारण रिजर्व बैंक तक कंगाली के दौर में पहुंच गए हैं। देश की बड़ी संपत्तियों, परिसंपत्तियों व जनहित में चल रहे उपक्रमों को एक-एक करके फरोख्त करने का सिलसिला निरंतर जारी है। लोकतंत्र में जनादेश के माध्यम से मिली ताकत के दुरुपयोग की यह एक नई अति है।
उन्होंने कहा कि इस पर दुर्भाग्य यह है कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी व मानसिकता को गुलामी के दौर में धकेला जा रहा है। जो भी संस्था या व्यक्ति देश में लागू की जा रही बेतुकी व गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने का साहस कर रहे हैं, उन्हें या तो देशद्रोही करार देने की साजिश में लपेटा जा रहा है या फिर कानून व आम आदमी को न्याय दिलाने वाले एजैंसियों सीबीआई व ईडी को आवाज उठाने वालों के खिलाफ प्रयोग करके जनहित में उठे हर स्वर को कुचलने का कुचक्रजारी कर दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि ऊपर से नीचे तक बीजेपी के नेता धौंस और दबाव की राजनीति में हर नागरिक को डराने, धमकाने का वातावरण बनाने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल के संस्कार व हिमाचल की पारंपारिक जीवन शैली की शिक्षा देश और दुनिया में अपनी सौम्यता व सभ्यता के लिए मशहूर है लेकिन अब हिमाचल के नेताओं ने दबाव, धौंस की राजनीति में रंगकर दिल्ली के चुनावों में जिस गुंडई भाषा का प्रयोग किया है। उससे हिमाचली सौम्यता व सभ्यता शर्मसार हुई है। देश में देश के गद्दार कौन हैं और जिन लोगों के दम पर जन संवाद को कहने व सुनाने की ताकत मिली है। वह देश के तथाकथित बफादार बनकर किस को डरा रहे हैं। देश की जनता समझ सकती है।
उन्होंने कहा कि जब-जब किसी हिमाचली नेता ने जनता की हैसियत से बढ़कर खुद की हैसियत को बड़ा दिखाने की हिमाकत की है तब-तब ऐसे नेता जनता के प्रकोप से औंधे मुंह गटर में गिर कर समाप्त हो गए हैं। देश का हर बड़ा उपक्रम चाहे वह एयर इंडिया हो या बीएसएनएल हो या बैंक हों उन्हें नीलाम करके देश में नफरत व अताताई हुकूमत का माहौल बनाया जा रहा है जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर यही स्थिति बेलगाम चलती रही तो वह दिन दूर नहीं जब देश पर ईस्ट इंडिया सरीखी कंपनियों की फिर से हुकूमत कायम होगी।