आजादी के बाद भी नहीं हो सका हिमाचल में रेल विस्तार, अब बजट पर टिकी नजरें (Video)

Edited By Punjab Kesari, Updated: 28 Jan, 2018 04:02 PM

हर साल भारत सरकार रेल बजट पेश करती है और इससे सबसे ज्यादा उम्मीदें होती है तो सिर्फ हिमाचल प्रदेश के लोगों को। हर बार उनकी उम्मीदों पर पानी ही फिरता है। इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है कि अंग्रेजी हकुमत में प्रदेश में रेल नेटवर्क का जो जाल...

मंडी (नीरज): हर साल भारत सरकार रेल बजट पेश करती है और इससे सबसे ज्यादा उम्मीदें होती है तो सिर्फ हिमाचल प्रदेश के लोगों को। हर बार उनकी उम्मीदों पर पानी ही फिरता है। इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है कि अंग्रेजी हकुमत में प्रदेश में रेल नेटवर्क का जो जाल बिछा था आज दिन तक उसमें कोई बढ़ोतरी नहीं हो सकी है। मंडी जिला का जोगिंद्रनगर वो इलाका है जहां तक अंग्रेजों ने रेल लाइन को बिछाया था। लेकिन आजादी के बाद देश को चलाने वाले हुकमरानों ने इसके विस्तार की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। 
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बिलासपुर-भानुपल्ली-मंडी-लेह रेलमार्ग का निर्माण होना है और दूसरी तरफ पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेल लाइन को नेरोगेज से ब्रॉडगेज करके इसे मंडी तक पहुंचाया जाना है। ज्ञात रहे कि लेह तक लाइन पहुंचना देश के लिए सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। क्योंकि यही एक सुरक्षित रास्ता है जो सीमा तक पहुंचता है और सेना को इससे माध्यम से मदद पहुंचाई जाती है। दूसरी तरफ चीन की बात करें तो लेह से सटे इलाकों में चीन ने अपने रेल नेटवर्क का विस्तार कर दिया है जबकि भारत इस मामले में अभी बहुत ज्यादा पीछे है।
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सुरक्षा के बाद अगर पर्यटन की बात करें तो उस लिहाज से भी रेल नेटवर्क काफी महत्वपूर्ण है। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कुल्लू-मनाली पर्यटन स्थल आज दिन तक रेल नेटवर्क के साथ नहीं जुड़ सके हैं जो अपने आप में हैरानी पैदा करने वाली बात है। मनाली होते हुए लेह तक लाइन पहुंच जाती है तो इससे न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि यहां के कारोबार को भी नए पंख लगेंगे। वहीं भानुपल्ली-बिलासपुर-मंडी-लेह रेल लाइन की बात करें तो इसकी भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भारत सरकार ने शुरू कर दी है, जो 2020 तक पूरी होने की उम्मीद है। 


सांसद राम स्वरूप शर्मा के अनुसार इस लाइन के निर्माण पर 50 हजार करोड़ से भी अधिक का खर्च जाएगा। वहीं दूसरी तरफ पठानकोट-जोगिंद्रनगर-मंडी रेल लाइन के सर्वे का कार्य चला अभी जारी है। अब एक बार फिर से टकटकी 1 फरवरी पर रहेगी। जिस दिन आम बजट के साथ-साथ रेल बजट भी पेश किया जाएगा। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार के रेल बजट में प्रदेश के लिए क्या खास हो पाता है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इन रेल लाइनों के निर्माण को सरकार और कितना धन दे पाती है ताकि इस कार्य को जल्द पूरा करके लेह तक रेल पहुंचाई जाए।

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