Edited By kirti, Updated: 13 Aug, 2019 03:29 PM
हिमाचल को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता है, यहां के कण-कण में देवताओं का वास है। जिनका अपना ही एक महत्व है। ऐसे ही एक देवता कतरूसी नारायण कुल्लू की लगघाटी के भल्याणी में वास करते हैं। जो अपनी शक्तियों से क्षेत्र की रक्षा करते हैं। ऐसी ही बुरी...
कुल्लू( दिलीप ठाकुर): हिमाचल को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता है, यहां के कण-कण में देवताओं का वास है। जिनका अपना ही एक महत्व है। ऐसे ही एक देवता कतरूसी नारायण कुल्लू की लगघाटी के भल्याणी में वास करते हैं। जो अपनी शक्तियों से क्षेत्र की रक्षा करते हैं।
ऐसी ही बुरी शक्तियों के नाश के लिए देवता कतरूसी नारायण मंदिर में शाउड़ी मेला मनाया गया। वहीं देवता के कारदार रूम सिंह नेगी ने बताया कि घाटी की सुख शांति के लिए इस मेले का आयोजन किया जाता है, ये मेला खराका गांव से शुरू होता है।
मंगलवार को घाटी के आराध्य देवता कतरूसी नारायण के प्रांगण में आयोजित मेले में देवता वीरनाथ भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। उन्होंने ने बताया कि गांव में बुरी शक्तियों का नाश के लिए इस मेले का आयोजन किया गया।
इस दौरान लोग अपने पहले बच्चे का मुंडन संस्कार भी करवाते हैं और आए हुए श्रद्धालु सुख और समृद्धि का आशीर्वाद लेकर अपने घर को लौट जाते है। वहीं पुर्व कारदार चंद्र नेगी ने बताया कि लगघाटी में यह मेला पांच साल बाद मनाया जाता है। जोकि तंदोर के नाम से जाना जाता है।
इस मेले का आगाज खारका गांव से होता है और आज कल श्रावण महिने का श्रावण मेला भल्याणी में मनाया जाता है। इस मेले में काफी देवी देवता आते है। उन्होंने बताया कि बड़ा ग्रा देवता को गुर और पुजारी देवता के निशासन के साथ भाग लेते है।
उन्होंने बताया कि अगले साल आने वाला मेले में चार देवता शामिल होते है और इस मेले की विशेषता अगल ही है। इस इलाके के राकक्ष प्रवृति के राकक्ष हुआ करते थे और उनका निवार्ण करने के लिए इस मेले का आयोजन होता है।
घाटी के गांव का चक्कर लगाने के बाद शालाणी नामक स्थान पर इन बुरी शक्तियों का खात्मा किया जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसा ही कार्य हर 4 वर्ष के बाद मनाया जाता है।