कोरोना वायरस: रिहा होंगेे पहली बार जेल गए कैदी, बैठक में बड़ा फैसला

Edited By kirti, Updated: 28 Mar, 2020 11:14 AM

prisoners released for the first time in jail big decision in meeting

हिमाचल की जेलों में बंद कैदियों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित उच्च स्तरीय कमेटी ने बड़ा फैसला लिया है। शुक्रवार को हुई बैठक में निर्णय हुआ है कि प्रदेश की जेलों में बंद ऐसे विचाराधीन कैदी जो पहली बार जेल गए हैं,...

शिमला : हिमाचल की जेलों में बंद कैदियों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित उच्च स्तरीय कमेटी ने बड़ा फैसला लिया है। शुक्रवार को हुई बैठक में निर्णय हुआ है कि प्रदेश की जेलों में बंद ऐसे विचाराधीन कैदी जो पहली बार जेल गए हैं, उन्हें विशेष जमानत दी जाएगी। सात साल से कम सजा वाले अपराध और तीन महीने से ज्यादा समय से जेल में बंद विचाराधीन कैदियों को भी घर भेजा जाएगा। 

कमेटी के फैसले के बाद राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने सभी जिला जजों, जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षकों और जेल अधीक्षकों को पत्र लिखकर उचित कार्रवाई कर एक्शन टेकन रिपोर्ट भेजने के लिए निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 23 मार्च को एक रिट पिटीशन की सुनवाई करते जेलों में बंद कैदियों को कोरोना से बचाने के लिए सरकारों को कई तरह के निर्देश दिए थे। 

डीजी जेल सोमेश गोयल ने भी हाईकोर्ट को पत्र लिखकर सूबे की जेलों में बंद 1600 से ज्यादा विचाराधीन कैदियों को विशेष जमानत देने के लिए जिला जजों की अध्यक्षता वाली कमेटियों को निर्देश देने की गुजारिश की थी। कोर्ट के आदेश के बाद राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव प्रेम पाल रांटा ने मंगलवार को सरकार के विधि सचिव को हाई पावर कमेटी गठित करने के लिए पत्र लिख दिया। 

इसके बाद सरकार ने प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन जस्टिस टीएस चैहान की अध्यक्षता में एसीएस गृह मनोज कुमार और डीजी जेल सोमेश गोयल की तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर दी। कमेटी ने फैसला लिया है कि बच्चों, महिलाओं से अपराध करने वालों के अलावा, दंगा व देशद्रोह, नकली करेंसी से जुड़े अपराध में शामिल आरोपियों को नहीं छोड़ा जाएगा। 

वित्तीय अपराध, भ्रष्टाचार, गैंगेस्टर एक्ट और एनडीपीएस एक्ट में जेल में बंद आरोपियों व सजायाफ्ता को पेरोल या जमानत नहीं दी जाएगी। पत्र के अनुसार जेल अधीक्षक अपनी अपनी जेलों में बंद सजायाफ्ता व विचाराधीन कैदियों में से पात्र कैदियों की सूची तैयार कर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजेंगे। हर जिला प्राधिकरण के सचिव बेल एंड रिमांड काउंसिल तैनात करेंगे।
 

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