Edited By Ekta, Updated: 06 Jan, 2019 12:14 PM

हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर में भर्ती एवं पदोन्नति नियमों (आर. एंड पी. रूल्ज) में बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है। वर्ष 2018 में तकरीबन 34 पोस्ट कोड में विज्ञापित सैकड़ों पदों के लिए योग्य उम्मीदवार ही नहीं मिल पाए। सरकारी विभागों के अपने...
हमीरपुर (पुनीत): हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर में भर्ती एवं पदोन्नति नियमों (आर. एंड पी. रूल्ज) में बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है। वर्ष 2018 में तकरीबन 34 पोस्ट कोड में विज्ञापित सैकड़ों पदों के लिए योग्य उम्मीदवार ही नहीं मिल पाए। सरकारी विभागों के अपने अलग-अलग भर्ती एवं पदोन्नति नियम होना इसका बड़ा कारण माना जा रहा है। अब आयोग भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में एकरूपता लाने पर विचार कर रहा है। लोक सेवा आयोग की तर्ज पर कॉमन आर. एंड पी. रूल्ज सैट बनाने के बारे में आयोग ने प्रदेश सरकार को लिखा है।
सरकार की ओर से मंजूरी मिलने के बाद आयोग अपने तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों को भरने के लिए कॉमन नियम बनाएगा। इससे लाखों बेरोजगारों को फायदा होगा जोकि भर्ती एवं पदोन्नति नियमों की खामियों के कारण रिजैक्ट हो रहे हैं। बता दें कि प्रदेश सरकार व संबंधित विभाग की संस्तुति के बाद आयोग केवल भर्ती प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाता है जबकि भर्ती एवं पदोन्नति नियम संबंधित विभाग ही तय करते हैं। जानकारी के अनुसार कई विभागों में इन नियमों में संशोधन की जरूरत है क्योंकि 15 अंक के मूल्यांकन प्रक्रिया में शैक्षणिक व तकनीकी योग्यता सहित अन्य प्रमाणपत्र मानकों पर खरे नहीं उतर रहे हैं।
497 पद रह गए खाली
सत्र 2018-19 के दौरान 31 दिसम्बर, 2018 तक आयोग की ओर से 73 पोस्ट कोड के तहत 2934 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया आयोजित की गई जिसमें से 2437 पद भरे जबकि 34 पोस्ट कोड में 497 पदों के लिए योग्य उम्मीदवार ही नहीं मिल पाए। 9 पोस्ट कोड ऐसे रहे जिनमें से एक भी पद के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिला। स्वास्थ्य विभाग में ही रेडियोग्राफर के 115 में से 113 पद, एल.डी.आर. असिस्टैंट के 267 में से 144, आई.पी.एच. विभाग में पंप आप्रेटर के 64 व स्टैनो टाइपिस्ट के 22 पदों पर योग्य उम्मीदवार ही नहीं मिल पाए।
परीक्षा से पहले आगाह भी करता है आयोग
आयोग की ओर से जब भी किसी पोस्ट कोड के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाती है तो परीक्षा तिथि से पहले आयोग द्वारा नोटिफिकेशन जारी की जाती है कि शैक्षणिक व अन्य योग्यता को जांच परख लें, उसके बाद ही परीक्षा में भाग लें लेकिन इसके बावजूद अभ्यर्थी इसे हल्के से लेते हैं।