धर्मशाला में तिब्बती विद्रोह की 66वीं वर्षगांठ पर शांतिपूर्ण रैली, स्वतंत्रता की उठी मांग

Edited By Jyoti M, Updated: 13 Mar, 2025 03:32 PM

peaceful rally on the 66th anniversary of tibetan uprising in dharamshala

भारत–निर्वासित तिब्बतियों ने 10 मार्च 2025 को ल्हासा विद्रोह की 66वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक रैली का आयोजन किया। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में तिब्बती समुदाय के लोग शामिल हुए, जिन्होंने तिब्बत की स्वतंत्रता और चीन द्वारा गिरफ्तार किए गए तिब्बती...

धर्मशाला (रविंद्र आर्य)। भारत–निर्वासित तिब्बतियों ने 10 मार्च 2025 को ल्हासा विद्रोह की 66वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक रैली का आयोजन किया। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में तिब्बती समुदाय के लोग शामिल हुए, जिन्होंने तिब्बत की स्वतंत्रता और चीन द्वारा गिरफ्तार किए गए तिब्बती नेताओं की रिहाई की मांग की।

इस अवसर पर, धर्मशाला स्थित तिब्बती संसद-इन-एक्ज़ाइल और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने तिब्बत की आज़ादी के समर्थन में भाषण दिए। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तिब्बती झंडे और नारे लिखी तख्तियां लेकर शांतिपूर्ण मार्च किया, जो मुख्य बौद्ध मंदिर त्सुगलाखांग से शुरू होकर मैकलोडगंज के प्रमुख मार्गों से होते हुए आगे बढ़ा।

यह प्रदर्शन 1959 के उस ऐतिहासिक विद्रोह की याद में आयोजित किया गया था, जब तिब्बती लोगों ने चीन के नियंत्रण के विरुद्ध ल्हासा में व्यापक विरोध किया था। इस विद्रोह के बाद दलाई लामा को तिब्बत छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी थी। तब से हर साल 10 मार्च को "तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस" के रूप में मनाया जाता है।

इस वर्ष के प्रदर्शन में तिब्बती युवाओं और बुजुर्गों के साथ-साथ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी भाग लिया। आयोजकों ने कहा कि तिब्बती समुदाय तब तक संघर्ष जारी रखेगा जब तक तिब्बत को पूर्ण स्वायत्तता या स्वतंत्रता नहीं मिल जाती।

हेग में तिब्बत समर्थकों की एकजुटता"

हेग, नीदरलैंड – यूरोप में रहने वाले तिब्बती समुदाय और तिब्बत समर्थकों ने 66वें तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस को चिह्नित करने के लिए हेग में एकजुट होकर प्रदर्शन किया। इस वर्ष का आयोजन "यूरोप, तिब्बत के साथ खड़ा हो!" (Europe, Stand with Tibet!) के नारे के तहत किया गया, जिसमें तिब्बत की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की बहाली की मांग को प्रमुखता दी गई।

प्रदर्शनकारियों ने तिब्बती झंडे लहराए और नारे लगाए, जिसमें चीन के शासन के खिलाफ विरोध दर्ज किया गया। आयोजकों ने यूरोपीय सरकारों से तिब्बतियों के अधिकारों और उनकी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।

तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस 1959 में ल्हासा विद्रोह की याद में हर साल मनाया जाता है, जब तिब्बती लोगों ने चीनी शासन के खिलाफ ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन किया था। इस विद्रोह के बाद दलाई लामा को निर्वासन में भारत जाना पड़ा, और तब से यह दिन तिब्बत की आज़ादी के संघर्ष का प्रतीक बना हुआ है।

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