माता-पिता बच्चों को समय देकर उनकी समस्याओं का करें समाधान: उपायुक्त

Edited By Jyoti M, Updated: 25 Feb, 2025 09:40 AM

parents should give time to their children and solve their problems

जिला सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम-2012 और स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ, अधिनियम (एनडीपीएस एक्ट), 1985 पर आधारित विशेष कार्यशाला का आयोजन आज यहाँ बचत भवन में किया गया।

हिमाचल डेस्क। जिला सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम-2012 और स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ, अधिनियम (एनडीपीएस एक्ट), 1985 पर आधारित विशेष कार्यशाला का आयोजन आज यहाँ बचत भवन में किया गया। कार्यशाला में उपायुक्त अनुपम कश्यप ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। कार्यशाला को संबोधित करते हुए उपायुक्त ने कहा कि नशे और बाल संरक्षण को लेकर हर घर को वन स्टाॅप सेंटर की भूमिका निभानी होगी। बच्चों की समस्याओं का समाधान घर के स्तर पर ही करने के लिए माता पिता को अग्रणी तौर पर कार्य करना चाहिए। अगर घर के स्तर पर समाधान नहीं होता है तो फिर अन्य एजेंसियों का सहयोग लेना चाहिए।

उपायुक्त ने कहा कि आज के परिदृश्य में माता पिता बच्चों को समय नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के हाथों में मोबाईल थमा कर जिम्मेवारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं। हमें अपने बच्चों के साथ समय व्यतीत करना होगा। बच्चों के असली काउंसलर तो माता पिता होते है, जो पल-पल बच्चों को सही और गलत बातों के बारे में जागरूक करते है। उन्होंने कहा कि शिमला में चिट्टे के खिलाफ प्रशासन प्रभावी तरीके से कार्य कर रहा है। शिमला पुलिस का भरोसा अभियान भी सफल हो रहा है।

इस अभियान के तहत बड़े-बड़े अन्तर्राजीय गिरोहों का भंडाफोड़ किया जा चुका है। नशे के कारोबार में संलिप्त लोगों को सलाखों के पीछे पहुंचाया जा रहा है, लेकिन यह अभियान और प्रभावी तभी होगा जब आम जनता पुलिस की मददगार बनेगी। पुलिस को नशे का कारोबार करने वालों के बारे में सूचनाएं देगी। पुलिस सूचना देने वाले की पहचान को गुप्त रखती है। पुलिस के साथ संवाद होना बेहद आवश्यक है।

स्कूलों में एक दिन होगा विशेष जागरूकता कार्यक्रम

उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि जिला के सभी स्कूलों में अब एक दिन निर्धारित किया जाएगा जिसमें शिक्षकों और बच्चों के अभिभावकों को बाल संरक्षण और मादक पदार्थों के बारे में जागरूक किया जाएगा । इस विशेष दिन प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग की टीम शिक्षकों और अभिभावकों को जागरूक करेगी। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन यह सुनिश्चित करेगा कि उक्त दिन सभी अभिभावक मौजूद रहे। अभिभावकों और शिक्षकों को अपने बच्चों पर निगरानी रखी होगी। तभी बच्चों के बारे में सही सूचनाएं मिल पाएंगी और समाज में व्याप्त नशे से सुरक्षित रख पाएंगी।

बीमारी है नशा, इसका इलाज अस्पताल में संभव - डॉ प्रवीण भाटिया
कार्यशाला में रिर्सोसपर्सन डॉ प्रवीण भाटिया, उप चिकित्सा अधीक्षक, इंदिरा गांधी मेडिकल महाविद्यालय शिमला ने कहा कि नशा एक बीमारी है। जैसे हर बीमारी का इलाज संभव है, उसी तरह नशे का इलाज भी संभव है। लेकिन नशे का इलाज अस्पताल में ही संभव है। कुछ लोगों को लगता है नशे के आदि व्यक्ति घर पर ही दवाई खिलाने से नशा छोड़ देंगे लेकिन नशे के आदि लोगों को निरंतर निगरानी में रखकर ही इलाज संभव है। उन्होंने कहा कि चिट्टा बहुत भयानक तरीके से हिमाचल प्रदेश में पांव पसार चुका है। हमारे पास रोजाना चिट्टे का सेवन करने वाले अस्पताल में पहुंच रहे है। अस्पताल और परिवारों के सहयोग से बहुत से लोग इस बीमारी से मुक्त भी हो चुके है। उन्होंने कहा कि अब लड़कियां भी भारी तादाद में चिट्टे की आदि हो रहीं हैं। उन्हें हेपेटाईटिस ए,बी और सी हो रहा है। इसके अलावा अन्य कई बीमारियां भी होना शुरू हो गई हैं। लड़कियों को लेकर अभी समाज इतना जागरूक नहीं है। हमें लड़कियों को लेकर बेहद संजीदा होने की जरूरत है। नशे के आदि लोग अपराध को भी अंजाम दे रहे है।

चिटटे की एक डोज से ही हो रहे आदि - पुलिस अधीक्षक

कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने कहा कि चिट्टे की एक डोज ही बच्चों और युवाओं को अपना आदि बना रही है। एक ग्राम डोज से दस व्यक्ति डोज ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि चिट्टा ही नहीं बल्कि किसी भी प्रकार का नशा हो, वह स्वास्थ्य और समाज के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा कि घरों में शराब, बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू आदि का सेवन अगर हो रहा है तो इस बात को हमेशा ध्यान में रखे की आपका बच्चा भी इसी आगोश में आ जाएगा। आपको स्वयं नशा छोड़ना होगा तब बच्चों को नशे से दूर रख सकते है।

घरों में माता पिता के बीच के रिश्तों में पड़ी दूरियां, बच्चों की बुरी संगत, ऐसे कई कारण हैं जो बच्चों को नशे में धकेल रहे है। नशे के कारोबार में शामिल 90 फीसदी लोग युवा हैं और इसमें लड़कियां भी शामिल हैं। साधन संपन्न घरों के बच्चे नशे के चपेट में हैं। माता पिता के खातों से पैसों का लेनदेन करने चिट्टा खरीद रहे हैं। सरकारी क्षेत्र के कर्मचारी अधिकारी भी चिट्टे की चपेट में आ रहे हैं। उन्होंने लोगों से आवाहन किया कि नशे के बारे में शिमला पुलिस के भरोसा अभियान का हिस्सा बन कर सूचनाएं दे। सभी स्वयं भी अनुशासन में रहे और बच्चों को अनुशासन में रहना सिखाएं। बाल संरक्षण को लेकर शिकायत समय पर करें। पुलिस कानून के मुताबिक हर मामले में कार्रवाई करती है।

नशे के खिलाफ जन आंदोलन की शुरू घर से करें - संतोष शर्मा

बाल कल्याण समिति की अध्यक्षा संतोष शर्मा ने कहा कि जिला प्रशासन और पुलिस बेहतरीन कार्य कर रही है। समाज के हर वर्ग को नशे के खिलाफ और बाल संरक्षण के लिए आगे आना होगा। जब तक आम जन इसे आंदोलन बनाकर घर से शुरुआत नहीं करेंगे, इसके परिणाम धरातल पर नहीं दिखेंगे। हमें नशे का कारोबार करने वालों को सलाखों तक पहुंचाना है तथा जो नशे के आदि हो चुके हैं उनका इलाज अस्पतालों में करवा कर उन्हें मुख्य धारा में जोड़ना है ताकि वह अपना जीवन सुधारकर समाज में मिसाल पेश कर सके।

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के अधिवक्ता संजीव सूरी ने बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम 2012 और स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ, अधिनियम (एनडीपीएस एक्ट), 1985 के बारे में विस्तृत तौर से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम के तहत सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट हर मामले में अहम होती है। अगर रिपोर्ट में तथ्य सही होंगे तो आरोपी कभी भी आरोप मुक्त  हो नहीं सकता है। ऐसे में सीडब्लयूसी की रिपोर्ट के बारे में सजग रहे। वहीं एनडीपीएस एक्ट के तहत कई प्रावधान हैं। कार्यशाला में मुख्यमंत्री सुरक्षित बचपन अभियान के बारे में भी जानकारी दी गई। 

ये रहे मौजूद

कार्यशाला के दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी ममता पाॅल शर्मा, विभिन्न स्कूलों के प्रधानाचार्य, विशेष किशोर पुलिस इकाई, जिला के सभी सीडीपीओ, काउंसलर,चाईल्ड लाईन सहित कई गणमान्य हित धारक मौजूद रहे।

 

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