खतरनाक पुलों का बनेगा Online डाटा, हर साल होगी जांच

Edited By Simpy Khanna, Updated: 04 Sep, 2019 10:26 AM

online data will be made for dangerous bridges

प्रदेशभर में खतरनाक हो चुके पुलों का ऑनलाइन डाटा किया जा रहा है। पी.डब्ल्यू.डी. ने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के मकसद से जर्जर व खस्ताहाल पुलों की पहचान का जिम्मा हैदराबाद की साटरा कंपनी को सौंपा है। साटरा कंपनी प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में...

शिमला (देवेंद्र): प्रदेशभर में खतरनाक हो चुके पुलों का ऑनलाइन डाटा किया जा रहा है। पी.डब्ल्यू.डी. ने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के मकसद से जर्जर व खस्ताहाल पुलों की पहचान का जिम्मा हैदराबाद की साटरा कंपनी को सौंपा है। साटरा कंपनी प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर खतरनाक पुलों का डाटा एकत्र करके इसे ऑनलाइन कर रही है।

दावा किया जा रहा है कि दुनिया के विकसित देशों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक का प्रयोग करके पुलों की गुणवत्ता को जांचा जा रहा है। इनकी गुणवत्ता देखने को मोबाइल ब्रिज इन्सपैक्शन यूनिट (एम.बी.आई.) का इस्तेमाल किया जा रहा है। हिमाचल में इस तकनीक का पहली बार प्रयोग होगा। साटरा कंपनी को फिलहाल 150 पुराने पुलों की गुणवत्ता जांचने का जिम्मा सौंपा गया है। यह कंपनी एक साल के भीतर पुलों का सर्वे पूरा करके पी.डब्ल्यू.डी. को रिपोर्ट सौंपेगी और जर्जर हो चुके पुलों को बदलने व मुरम्मत के सुझाव देगी।

आई.टी. के जानकार युवाओं को दिया प्रशिक्षण

आई.टी. के जानकार युवाओं को पुलों की गुणवत्ता जांचने के लिए सक्षम बनाने के मकसद से मंगलवार को पी.डब्ल्यू.डी. मुख्यालय में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें लानरिक कंपनी के न्यूजीलैंड से आए इंजीनियर फिलिप्स और गगन बर्माणने हिमाचल के युवा कनिष्ठ अभियंता, सहायक अभियंता, अधिशासी अभियंताओं को उस एप के बारे में जानकारी दी गई, जिसकेमाध्यम से खतरनाक पुलों का डाटा बैंक तैयार किया जाना है। युवा इंजीनियरों को बताया गया कि एम.बी.आई. की मदद से कैसे पुलों की गुणवत्ता जांची जाए । इंजीनियरों को पुलों की जानकारी एप पर अपलोड करने की जानकारी दी गई।

हर साल होगी पुलों की जांच

पुलों का ऑनलाइन डाटा तैयार होने के बाद प्रत्येक पुलों की हर साल जांच की जाएगी। मौजूदा समय में किसी भी पुलों की गुणवत्ता जांच का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में पी.डब्ल्यू.डी. द्वारा राज्य में पहली बार यह पहल की गई है। पुलों का डाटा बैंक तैयार होने से पी.डब्ल्यू.डी. को भी फाइलों के ढेर से निजात मिलेगी और विभागीय इंजीनियरों को पुलों का कंडीशनल सर्वे हर हाल में करना होगा।

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