जज्बे से हासिल की बुलंदियां, एक हाथ न होने पर भी निषाद ने ऊंची कूद में जीता कांस्य पदक

Edited By kirti, Updated: 22 Nov, 2019 12:12 PM

nishad kumar

संघर्ष में आदमी अकेला होता है और सफलता में दुनिया उसके साथ होती है। यह वाक्य क्षेत्र के बेटे निषाद कुमार पर फिट बैठता है। बचपन में इस बेटे का दायां हाथ गलती से चारा काटने की मशीन में आ गया था और हाथ काटना पड़ा लेकिन एथलैटिक्स के प्रति जुनून का ही...

अम्ब (ब्यूरो): संघर्ष में आदमी अकेला होता है और सफलता में दुनिया उसके साथ होती है। यह वाक्य क्षेत्र के बेटे निषाद कुमार पर फिट बैठता है। बचपन में इस बेटे का दायां हाथ गलती से चारा काटने की मशीन में आ गया था और हाथ काटना पड़ा लेकिन एथलैटिक्स के प्रति जुनून का ही परिणाम है कि आज यह बेटा एथलैटिक्स में वल्र्ड सैलिब्रिटीज बनकर उभर कर सामने आया है। 7 से 15 नवम्बर तक हुई दुबई वल्र्ड एथलैटिक्स चैम्पियनशिप-2019 में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पुरुषों की ऊंची कूद (टी-47) में 2 मीटर का हाई जम्प लगाकर कांस्य पदक जीतने वाले बदाऊं (अम्ब) के निषाद कुमार ने क्षेत्र का नाम रोशन किया है। अति गरीब परिवार से संबंधित निषाद कुमार अम्ब स्कूल से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद जुलाई, 2017 से पंचकूला (हरियाणा) के ताऊ देवी लाल खेल स्टेडियम में अभ्यास कर रहा है।

मां को मलाल, नहीं की किसी ने मदद

निषाद के पिता रशपाल सिंह गांव में राजमिस्त्री का कार्य करते हैं और माता पुष्पा देवी गृहिणी हैं। बहन रमा देवी कालेज छात्रा है और वह भी स्कूल समय से ही एथलैटिक्स गतिविधियों में लगातार हिस्सा लेती आ रही है। निषाद की माता को मलाल है कि परिवार की बुरे वक्त में किसी ने मदद नहीं की। उनका कहना है कि गरीबी की हालत में परिवार की बेटे को स्टेडियम भेजने की हिम्मत नहीं थी लेकिन बेटे की प्रतिभा को देखते हुए सरकार ने कोई मदद नहीं की। बेटे की जिद थी कि वह पढ़ेगा भी और साथ में खेलेगा भी। पूर्व समय में परिवार के लोग इधर-उधर भटकते रहे कि (निषाद) दिव्यांग है इसलिए परिवार को आई.आर.डी.पी. में डाल दो लेकिन उनकी किसी ने एक नहीं सुनी। हारकर गत वर्ष उन्होंने अपने बलबूते पर भारी खर्च कर बेटे को स्टेडियम में प्रवेश दिलाया। आज खुशी के पल हैं कि बेटे ने भारत के लिए पदक जीता है।

स्वर्ण पदक जीतना है लक्ष्य

निषाद कुमार का कहना है कि उसका लक्ष्य टोक्यो पैरालिम्पिक-2020 में भारत के लिए स्वर्ण पदक लाना है जिसके लिए कड़ा अभ्यास करूंगा। इससे पहले वह वल्र्ड एथलैटिक्स ग्रैंड प्रिक्स चैम्पियनशिप में 1.92 मीटर का जम्प लगाकर स्वर्ण पदक भी हासिल कर चुका है।

अम्ब पहुंचने पर निषाद का बैंड-बाजों से किया स्वागत

उधर, अम्ब पहुंचे निषाद कुमार को खुली जीप में बैंड-बाजों के साथ लाया गया। इस दौरान युवा जन कल्याण समिति अम्ब के अध्यक्ष राघव राणा की अगुवाई में उपाध्यक्ष तनुज ठाकुर, आलिव मोहम्मद, कुलदीप सैनी, मनमोहन शर्मा, शहीद भगत सिंह क्लब के प्रधान पंकज कौंडल व लक्की ने निषाद कुमार को शॉल व पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया। इससे पहले ग्राम पंचायत कटोहड़ कलां की प्रधान सुषमा रानी, उपप्रधान नरेंद्र गोल्डी, चमन लाल, होशियार सिंह जीवन ज्योति, रजनी बाला व बिमला देवी सहित पंचायत के सभी प्रतिनिधियों ने बदाऊं (कटोहड़ कलां) गांव का नाम रोशन करने वाले बेटे को स्मृतिचिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

जबकि इस मौके पर राजकुमार डोगरा ने उसे अपनी तरफ से 11,000 रुपए भेंट कर प्रोत्साहित किया। इसके बाद निषाद कुमार ने गांव बदाऊं में स्थित ठाकुरद्वारा मंदिर में विधिवत शीश नवाया। उल्लेखनीय है कि गत दिनों दिल्ली पहुंचने पर केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने विश्व पैरा एथलैटिक्स चैम्पियनशिप में मैडल हासिल करने वाले निषाद कुमार को 8 लाख की नकद ईनाम राशि से सम्मानित किया था।

टोक्यो पैरालिम्पिक-2020 का कोटा किया हासिल

निषाद कुमार के कोच बिक्रम चौधरी और नसीब मोहम्मद का कहना है कि निषाद के माता-पिता जुलाई, 2017 में बेटे को पंचकूला (हरियाणा) लेकर आए थे जिस पर वहां पर उसका चयन हो गया। निषाद कुमार की कड़ी मेहनत का ही प्रयास है कि इसने दुबई वल्र्ड एथलैटिक्स चैम्पियनशिप-2019 में शानदार प्रदर्शन करते हुए पुरुषों की ऊंची कूद में टी-47 में कांस्य पदक जीतने के साथ टोक्यो पैरालिम्पिक-2020 का कोटा हासिल कर लिया है। निषाद का यह कोटा टोक्यो में 2020 में होने वाली पैरालिम्पिक खेलों के लिए भारत का 9वां कोटा है। उनका भरसक प्रयास रहेगा कि निषाद कुमार टोक्यो पैरालिम्पिक-2020 में स्वर्ण पदक 

 

 

 

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