Sirmour: डिपो संचालक की बेटी ने किया एचपीएएस की परीक्षा में टॉप, 12 घंटे की पढ़ाई और तीसरा प्रयास

Edited By Kuldeep, Updated: 30 Dec, 2025 11:01 PM

nahan depot operator hpas top

कहते हैं कि यदि इरादे मजबूत हों तो पहाड़ों के बीच बसे छोटे से गांव से भी इतिहास लिखा जा सकता है। ऐसा ही कुछ सिरमौर जिले की एक बेटी ने साबित कर दिखाया है।

नाहन (आशु): कहते हैं कि यदि इरादे मजबूत हों तो पहाड़ों के बीच बसे छोटे से गांव से भी इतिहास लिखा जा सकता है। ऐसा ही कुछ सिरमौर जिले की एक बेटी ने साबित कर दिखाया है। राजगढ़ उपमंडल की पझौता घाटी के सनौरा गांव की मेघा सिंह कंवर ने हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा परीक्षा 2025 में टॉप कर न सिर्फ अपने परिवार, बल्कि पूरे जिले और प्रदेश का मान बढ़ाया है। यह सफलता मेहनत, धैर्य और सही रणनीति की मिसाल बन गई है। दरअसल सनौरा में एक छोटा सा डिपो चलाने वाले पिता नरेंद्र सिंह कंवर की आंखों में खुशी के आंसू हैं तो मां अनीता कंवर का सीना गर्व से चौड़ा है। सेवा की भावना इस परिवार की पहचान है। मेघा के बड़े भाई कर्ण सिंह कंवर वर्तमान में पुलिस विभाग में कार्यरत हैं, जिन्होंने हमेशा बहन को अनुशासन और कर्त्तव्य का महत्व समझाया। इसी माहौल ने मेघा को भी बड़े सपने देखने की प्रेरणा दी।

गांव से प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद मेघा ने जवाहर विद्यालय से वर्ष 2015 में जमा दो की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने डॉ. वाईएस परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी से बीएससी और फिर एमएससी की पढ़ाई की। नौणी विश्वविद्यालय की गोल्ड मैडलिस्ट मेघा ने तीसरे प्रयास में प्रशासनिक सेवा परीक्षा को क्रैक किया, जो यह बताता है कि असफलता अंत नहीं, बल्कि सीखने की सीढ़ी होती है।

मेघा का मानना है कि सैल्फ स्टडी और बार-बार रिवीजन ही सफलता की असली कुंजी है। उन्होंने बताया कि शुरूआत में वह 6-7 घंटे पढ़ाई करती थी, लेकिन परीक्षा नजदीक आते ही यह समय 12 घंटे तक पहुंच गया। सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरी नहीं बनाई, बल्कि इसे सकारात्मक और जानकारी पूर्ण तरीके से इस्तेमाल किया। पहले 2 प्रयासों में जीएस के दूसरे पेपर में असफल रहने के बाद मेघा ने अपनी कमजोरी को पहचाना और उसी पर फोकस किया। यही रणनीति तीसरे प्रयास में उसकी सबसे बड़ी ताकत बन गई।

परिणाम वाले दिन की यादें आज भी मेघा के लिए भावुक हैं। उन्हें अंदेशा था कि शाम तक रिजल्ट आ सकता है, लेकिन 6 बजे के आसपास नींद आ गई। अचानक ही फोन की घंटी बजी तो दिल की धड़कनें तेज हो गईं। जब लिस्ट देखी और अपना नाम सबसे ऊपर पाया तो सबसे पहले फोन मां को किया। मां की आवाज में जो खुशी थी, वह इस संघर्ष की सबसे बड़ी जीत थी।

मेघा सिंह कंवर की कहानी आज उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों व असफलताओं और संदेह के बावजूद अपने सपनों को छोड़ने का मन बना लेते हैं। मेघा बताती हैं कि सही रणनीति, निरंतर मेहनत और खुद पर विश्वास हो तो कोई भी लक्ष्य संभव हो सकता है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!