गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग के लक्षणों की निगरानी करें किसान

Edited By Jinesh Kumar, Updated: 04 Jan, 2021 11:34 AM

monitor the symptoms of yellow rust disease in wheat crop

गेहूं की रतुआ संवेदनशील अगेती बुवाई किस्मों में पीला रतुआ रोग के लक्षण उभरने की स्थिति में किसानों को सतर्क रहने तथा उपयुक्त पग उठाने की सलाह कृषि विशेषज्ञों ने दी है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार पीला रतुआ रोग के लक्षणों में गेहूं के पत्तों पर पीले...

पालमपुर (भृगु): गेहूं की रतुआ संवेदनशील अगेती बुवाई किस्मों में पीला रतुआ रोग के लक्षण उभरने की स्थिति में किसानों को सतर्क रहने तथा उपयुक्त पग उठाने की सलाह कृषि विशेषज्ञों ने दी है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार पीला रतुआ रोग के लक्षणों में गेहूं के पत्तों पर पीले रंग के छोटे-छोटे दाने तथा सीधी धारियां प्रकट होती हैं जबकि दूसरी और पत्तों में पीलापन दिखाई देता है। विशेषज्ञ ने बताया कि ऐसी परिस्थितियां गेहूं के पत्तों पर उभरने पर अनुशंसित रसायनों का छिड़काव किसान अवश्य करें तथा 15 दिन के अंतराल के पश्चात इसे दोहराएं। विशेषज्ञ ने यह भी बताया कि गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के लिए खरपतवार की दो से तीन पत्ती अवस्था में अनुशंसित रसायनों का छिड़काव किया जाना चाहिए। वहीं गेहूं की फसल में यदि दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो बचाव हेतु किसान क्लोरोपायरीफोस 20 ईसी 2 लीटर प्रति एकड़ कि दर से सिंचाई के साथ उपयोग में लाए हैं।

विशेषज्ञों ने बताया कि दलहनी फसलों में निराई गुड़ाई करने का समय है। वहीं चने की फसल में फली छेदक सुंडी के प्रकोप के प्रति सावधान रहें तथा हरे रंग की सुंडियां फसल पर प्रकट होते ही साइपरमैथरीन 30 मिलीलीटर प्रति 30 लीटर पानी प्रति कनाल की दर से उपयोग में लाएं तथा चने की सुंडी के लिए यौन गंध के 25 ट्रैप प्रति हेक्टेयर लगाएं। वहीं मसूर खरपतवार नियंत्रण करें तथा चने में झुलसा रोग से बचाव के लिए बीज का डाइथेन एम-45 से उपचार करें तथा मसूर बिजाई वाले खेतों को खरपतवार रहित रखें।

आलू उत्पादन विशेषज्ञों ने बताया कि निचले क्षेत्रों में हवा में अधिक नमी के कारण आलू में झुलसा रोग आने की संभावना रहती है। ऐसे में यह संभावना दिखाई देने पर कार्बडिज्म 1 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाईथिन एम-45, 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से चिपकने वाले पदार्थ के साथ मिलाकर छिडक़ाव इस तरह करें कि पौधा पूरी तरह भीग जाए। आलू की फसल में वर्षा के बाद उर्वरक की मात्रा डालें तथा निराई गुड़ाई करें तथा खरपतवार निकाल दें।

मशरूम उत्पादन विशेषज्ञों ने बताया कि बंद कमरे में खुंभ उत्पादन के लिए जलवायु उचित है सफेद खुंभ की फसल में कमरे का तापमान 17 से 18 सेंटीग्रेड तक बनाए रखें और पानी भी छिडक़ें पानी छिड़कने के बाद हवा चलाएं ताकि खुंभ के ऊपर पानी न रहे। विशेषज्ञ ने बताया कि खुंभ निकलना शुरू हो तो कमरे का तापमान 18 से 22 सेंटीग्रेड रखें।

सब्जी उत्पादन सब्जी उत्पादन को लेकर विशेषज्ञों ने बताया कि सब्जियों में पंक्तियों के बीच खाली स्थान पर घास फूस आदि का मलच या बिछोना बनाकर डालने से पैदावार में बढ़ोतरी होती है। उन्होंने किसानों से सब्जियों की निराई गुड़ाई कर खरपतवार को हटाने का आग्रह भी किया। वहीं 15 से 25 दिन की सब्जियों में नाइट्रोजन की बची हुई मात्रा का छिड़काव करने का सुझाव भी दिया। विशेषज्ञ ने बताया कि सब्जियों टमाटर, मिर्च, बैंगन में फलछेदक  तथा शीर्ष छेदक की निगरानी हेतु फेरोमोन प्रपंच तीन से चार प्रति एकड़ लगाएं तथा प्रकोप अधिक दिखाई दे तो स्पैनोसेटड दवा 1 मिलीलीटर प्रति 4 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने की स्थिति पर करें।

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