HPU की भर्ती प्रक्रियाओं में भ्रष्टाचार की बू, लॉबी विशेष के दबाव में लग रही सरकार : राजेंद्र राणा

Edited By Vijay, Updated: 25 Nov, 2020 04:16 PM

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प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों की भर्ती प्रक्रियाओं पर मचे बवाल पर प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि एनआईटी हमीरपुर व केंद्रीय विश्वविद्यालय के सुर्खियों में रहने के बाद अब हिमाचल...

हमीरपुर (ब्यूरो): प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों की भर्ती प्रक्रियाओं पर मचे बवाल पर प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि एनआईटी हमीरपुर व केंद्रीय विश्वविद्यालय के सुर्खियों में रहने के बाद अब हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में असिस्टैंट प्रोफैसरों की भर्ती प्रक्रिया पर दाग लगे हैं। इससे साफ जाहिर है कि प्रतिभावान व पात्र उम्मीदवारों को दरकिनार किया जा रहा है तथा सरकार ने पूरे मामले में चुप्पी साध ली है। जारी प्रैस विज्ञप्ति में उन्होंने आशंका जताई कि प्रदेश सरकार के ऊपर एक लॉबी विशेष हावी हो गई है, जिसके दबाव में सरकार शिक्षण संस्थानों को भी भ्रष्टाचार का अड्डा बनाने पर आमदा हो गई है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के अलग-अलग सरकारी कॉलेजों में समाजशास्त्र विभाग में लंबे समय से बतौर सहायक प्रोफैसर सेवाएं दे रहे वरिष्ठ समाजशास्त्रियों ने ही असिस्टैंट प्रोफैसर की भर्ती प्रक्रिया पर विवि की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिन्हें इस पद के लिए रिजैक्ट कर ऐसे उम्मीदवार का चयन किया, जिसकी योग्यता वरिष्ठ सहायक प्रोफेसरों के समकक्ष कहीं नहीं ठहरती। विधायक राजेंद्र राणा ने चिंता व्यक्त की कि पात्र उम्मीदवारों को अब मजबूरन माननीय हाई कोर्ट का रूख करना पड़ रहा है। भर्ती प्रक्रियाओं में इस तरह की सरेआम हो रही धांधली से पात्र उम्मीदवार हतोत्साहित भी हो रहे हैं क्योंकि भर्ती प्रक्रिया में यूजीसी के मापदंडों को न अपनाकर अपने चहेतों का चयन कर लाभ पहुंचाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इससे पहले सिविल इंजीनियरिंग में भी असिस्टैंट प्रोफेसर पदों के लिए पीएचडी डिग्री धारकों, अनुभवी और शोधार्थियों को दरकिनार करके उनके स्थान पर एमटैक डिग्री धारक और अयोग्य उम्मीदवारों को चयन करने का आरोप लग चुका है। नियमों को दरकिनार कर इतने बड़े स्तर पर धांधलियां होने से सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि प्रदेश सरकार की शह के बिना ऐसा मुमकिन नहीं लगता। अगर सरकार पाक साफ होती तो इन मामलों की जांच करवाने के लिए सरकार आगे आती लेकिन सरकार का दामन ही साफ-सुथरा नहीं है तथा सारी दाल ही काली है।

उन्होंने कहा कि जब पात्र लोगों की बेकद्री की जाएगी तो आने वाली युवा पीढ़ी का भविष्य भी खतरे में है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी चयन आयोग से लेकर अन्य आधा दर्जन से अधिक भर्ती परीक्षाओं में सरकार की खूब किरकिरी हो चुकी है तथा अब शैक्षणिक संस्थानों में भर्ती प्रक्रिया में हो रही हेराफेरी से सरकार की नीयत भी साफ हो गई है। उन्होंने मांग उठाई कि प्रदेश सरकार भर्ती प्रक्रियाओं  की निष्पक्ष जांच करवाए, ताकि स्पष्ट हो सके कि किसके इशारे पर भर्ती फर्जीवाड़े को अंजाम दिया जा रहा है।

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