सियाचिन में शहीद हुए मनीष को राजकीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई

Edited By Simpy Khanna, Updated: 20 Nov, 2019 05:32 PM

manish who was martyred in siachen

सियाचिन में हिमस्खलन की चपेट में आने से सोलन शहर कुनिहार से ताल्लुक रखने वाला मनीष का आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। बता दें कि लद्दाख क्षेत्र के सियाचिन ग्लेशियर में बीते सोमवार को भारी हिमस्खलन हुआ था। उस समय सेना के 6 जवान...

सोलन (नरेश पाल) : सियाचिन में हिमस्खलन की चपेट में आने से सोलन शहर कुनिहार से ताल्लुक रखने वाला मनीष का आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। बता दें कि लद्दाख क्षेत्र के सियाचिन ग्लेशियर में बीते सोमवार को भारी हिमस्खलन हुआ था। उस समय सेना के 6 जवान और 2 पोर्टल पेट्रोलिंग कर रहे थे। करीब 19000 फीट की ऊंचाई वाले बर्फीले इलाके में हिमस्खलन की चपेट में आकर सभी दबान दब गए थे,आर्मी ने हेलीकॉप्टर की मदद से राहत कार्य को संभाल कर सभी को अस्पताल पहुंचाया था,लेकिन सोलन जिला के रहने वाले मनीष को शहादत नसीब हुई।
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खबर मिलने से पूरा इलाका था सुन्न

सोमवार को सियाचिन में ग्लेशियर में हुए हिमस्खलन की चपेट में 8 सैनिक आ गए थे जिसमें जिला सोलन के कुनिहार क्षेत्र के गांव दोची के मनीष कुमार भी इसकी चपेट में आ गए थे। जैसे ही इस सूचना का पता लगा तो पूरे परिवार और गांव में दुखों का पहाड़ टूट गया वहीं पूरे कुनिहार क्षेत्र में शोक की लहर छा गई थी।
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बचपन से था देश सेवा करने का जुनून

9 अप्रैल 1998 को जन्मे मनीष कुमार ने रावमापा कुफ़टू से जमा दो की परीक्षा पास की थी तथा उसके बाद महाविद्यालय अर्की बातल में अपनी आगे की पढ़ाई आरम्भ की । मनीष को बचपन से ही सेना में भर्ती होकर देश सेवा का शौक था। इसी शौक़ को पाले मनीष कॉलेज की द्वितीय वर्ष की पढ़ाई के बीच मे ही दिसंबर 2017 में सेना की डोगरा 6 रेजिमेंट में भर्ती हो गए। देश सेवा का जज्बा लिए मनीष अपने साथियों के साथ सियाचिन ग्लेशियर में अपनी सेवा दे रहा था कि पेट्रोलिंग के दौरान भारी हिम् स्खलन के कारण अन्य साथियों के साथ हिमस्खलन की चपेट में आ गया।
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 मनीष ने दादा की अंत्येष्टी छोड़ चुनी थी वतन की सेवा

देश की सुरक्षा में सियाचिन सेक्टर में तैनात कुनिहार के मनीष ठाकुर के अंदर सेना में भर्ती होने का जज्बा इतना था कि उन्होंने अपने दादा की अंत्येष्टी तक का गम सीने पर रख कर अपने कदम आगे बढ़ाए। जब उनकी सेना में ज्वाइनिंग की तारीख आई थी, उसी रात उनके दादा स्वर्गवासी हो गए। अब उस वक्त मनीष ठाकुर के ऊपर ऐसा संकट छाया कि एक तरफ अपने दादा का दुख और दूसरी तरफ देश सेवा करने का अवसर। ऐसे में उन्होंने अपने दादा के पूरे होने का गम अपने सीने पर रखकर सेना में ज्वाइनिंग देने की ओर कदम बढ़ा दिए।

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