Edited By Vijay, Updated: 06 Sep, 2019 11:24 AM
राधा अष्टमी के पावन अवसर पर संचूई गांव के शिव जी के चेलों द्वारा डल झील यानी डल को तोड़ने की परंपरा का निर्वहन करने के बाद लगभग 20,000 से अधिक लोगों ने मणिमहेश की डल झील में स्नान किया।
भरमौर: राधा अष्टमी के पावन अवसर पर संचूई गांव के शिव जी के चेलों द्वारा डल झील यानी डल को तोड़ने की परंपरा का निर्वहन करने के बाद लगभग 20,000 से अधिक लोगों ने मणिमहेश की डल झील में स्नान किया। हालांकि राधा अष्टमी स्नान वीरवार शाम 8 बजे से शुरू होकर शुक्रवार रात पौने 9 बजे तक का बताया गया है लेकिन डल तोड़ने के बाद ही अक्सर शाही स्नान की शुरूआत हो जाती है। इस दौरान दशनाम अखाड़ा चम्बा, चरपट नाथ चम्बा की छडिय़ां भी स्नान करती हैं।
इस बार भरमौर प्रशासन द्वारा यात्रा को पहली अगस्त से शुरू करने का एक लाभ यह हुआ कि इस बार ज्यादा भीड़ इकट्ठी नहीं हुई लेकिन जन्माष्टमी के बाद 4 दिन तथा राधा अष्टमी से पहले के 4 दिनों में ही भीड़ यहां देखी गई। इसका प्रमुख कारण मौसम के बिगड़े मिजाज के चलते अधिक संख्या में यात्री का न आना रहा। यहां के रास्तों में भू-स्खलन तथा भारी बरसात के कारण यात्रियों की संख्या बहुत कम रही।
गोई नाला, दोनाली, धनछो, जुमाडू, शिव घराट, सुन्दरासी तथा ग्लेशियर के पास लोगों की लम्बी कतारें मात्र राधाष्टमी के स्नान के अवसर पर ही देखी गईं अन्यथा पूरी यात्रा में इस बार कभी भी इस तरह की स्थिति देखने को नहीं मिली। धनछो, जुमाडू, बन्दर घाटी, भैरो घाटी तथा ग्लेश्यिर मार्ग खाली रहे।